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MP News: महाकाल मंदिर प्रशासन द्वारा जारी निर्माण कार्य में यूडीए (UDA) ने 73 करोड़ रुपए एडवांस लिए, लेकिन गुणवत्ता के मामले में यह कार्य बेहद स्तरहीन साबित हुआ। इस कारण सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया, जिससे पहले भी आसपास की दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो चुकी है। यह खुलासा सीबीआरआई की जांच रिपोर्ट में हुआ है।
क्या था पूरा मामला सीबीआरआई
मंदिर प्रशासन ने 29 सितंबर 2024 को सीबीआरआई (Central Building Research Institute, रुड़की) से जांच के लिए संपर्क किया था। यह कदम 27 सितंबर को हुए हादसे के बाद उठाया गया था, जब मंदिर के पास दीवार गिरने से दो लोगों की जान गई थी।
सीबीआरआई टीम ने 15 अक्टूबर को मंदिर का निरीक्षण किया और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यूडीए द्वारा किए गए कार्यों में गंभीर खामियां पाईं। रिपोर्ट में कुल 21 पत्रों के माध्यम से मंदिर प्रशासन, कलेक्टर और संभागायुक्त कार्यालय को सूचित किया गया। मंदिर प्रशासन ने इस जांच के लिए 33.98 लाख रुपए का भुगतान भी किया था।
लेकिन बाद में, यह रिपोर्ट मंदिर प्रशासन के पास से गायब कर दी गई। रिपोर्ट के गायब होने से गड़बड़ी की सच्चाई सामने नहीं आ पाई और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मंदिर प्रशासन ने कहा नहीं मिली रिपोर्ट
हालांकि मंदिर प्रशासन के कुछ जिम्मेदारों ने दावा किया कि उन्हें सीबीआरआई की जांच रिपोर्ट नहीं मिली और न ही सीबीआरआई टीम को बुलाया गया, लेकिन ठीक से जांच पड़ताल में पता चला कि ये दावे झूठे हैं। पत्राचार और भुगतान के जो दस्तावेज सामने आए हैं वो मंदिर प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट करते हैं।
जांच में मिलीं अनियमितताएं
21 पत्रों की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मंदिर प्रबंध समिति के अनुरोध पर ही सीबीआरआई की टीम 15 अक्टूबर को जांच के लिए पहुंची थी। जांच में भारी अनियमितताएं पाई गईं, जैसे मंदिर के ढांचे में लगाए गए खंभों के पत्थर के पेडेस्टल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त थे। ग्रेनाइट स्टोन की जगह पेडेस्टल वाले हिस्से पर सेंडस्टोन का उपयोग किया गया था।
कॉलम में लगे पत्थरों के बीच बड़े गैप और कैक्स पाए गए, जिससे उनकी मजबूती पर सवाल उठे। टीम ने इन खामियों को सुधारने के लिए सुझाव भी दिए।
गुणवत्ता पर उठे सवाल
मंदिर में यूडीए, स्मार्ट सिटी और अन्य एजेंसियों द्वारा 300 करोड़ से अधिक की लागत से निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन टीम ने गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए। इसके बावजूद अफसरों ने रिपोर्ट दबाने की साजिश रचकर किसी भी तरह की कार्रवाई को टालने की कोशिश की ताकि दोषियों पर कोई कार्यवाही न हो सके।
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सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवाल
यूडीए द्वारा किए गए इस स्तरहीन निर्माण से मंदिर परिसर में सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। यह मामला न केवल धार्मिक स्थल के लिए चिंता का विषय है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।