BHOPAL. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। सीएम ने गुरुवार, 5 सितंबर को उनकी अस्थियां शिप्रा नदी में प्रवाहित कीं। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ.यादव के सौ वर्षीय पिता पूनमचंद यादव की कुछ दिन से तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें इलाज के लिए उज्जैन के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने 3 सितंबर को अंतिम सांस ली। 4 सितंबर को उज्जैन में उनका अंतिम संस्कार किया गया। अब गुरुवार को सीएम ने धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार पूजा अर्चना कर पिता की अस्थियों को उज्जैन में शिप्रा नदी में प्रवाहित किया।
पिता की स्मृतियों को याद कर भावुक हुए सीएम
स्मृतियों को साझा करते हुए सीएम कहते हैं, उज्जैन विकास प्राधिकरण के चेयरमैन से लेकर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बनने पर भी पिताजी ने सरकारी सुविधाओं से हमेशा दूर बनाए रखी। जब मैं विधायक का चुनाव जीतकर आया और पिता पूनमचंद यादव के पैर छुए तो उन्होंने कहा था, जीत गए, अच्छी बात है, लेकिन हमेशा स्वाभिमान की जिंदगी जीना। कभी किसी के पैरों में मत गिरना। अपने दम पर और कर्म के आधार पर आगे बढ़ना। मेहनत ही एक दिन रंग लाएगी और ऊंचाई तक पहुंचाएगी। जब मैं मुख्यमंत्री बना और आशीर्वाद लेने उज्जैन पहुंचा तो घर पर चरण स्पर्श करते समय पिता ने कहा- अच्छा काम करना, लोगों का भला करना। किसी को दु:ख पहुंचे, ऐसा काम कभी मत करना।
सरकारी कार तक में नहीं बैठे
मुख्यमंत्री डॉ.यादव कहते हैं, पिताजी हमेशा आशीर्वाद के साथ नई सीख देते थे। वे अपना काम आखिरी समय तक स्वयं ही करते रहे। कोई उनसे मिलने आता तो वे कभी यह नहीं कहते थे कि मैं विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री का पिता हूं। ताउम्र वे सामान्य जीवन जीते रहे। जब मुख्यमंत्री निवास में जाते समय मैंने उनसे साथ चलने का आग्रह किया तो पिताजी ने कहा मैं तो यहीं अच्छा हूं। आज तक तुम्हारी सरकारी कार में भी नहीं बैठा और आगे भी नहीं बैठना चाहता। तुम वहां जाकर रहो और लोगों की सेवा करते रहो। मैं यहीं पर अच्छा हूं।
वे कहते थे...मेरा काम है, मैं ही करूंगा
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि पिताजी के दैनिक जीवन का हिस्सा खेत पर जाना भी था। फसल तैयार होने पर उसे अपनी देखरेख में कटवाना और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ स्वयं उपज बेचने के लिए मंडी जाना... उनका यह क्रम था। हम सब कहते भी थे कि यह सब आप मत किया करो, आराम करो, आपको जाने की क्या जरूरत है। इस पर वे कहते थे कि यह मेरा काम है और मैं ही करूंगा। वे बाजार भी जब-तब सामान लेने निकल जाते थे। कभी उन्होंने किसी की भी किसी काम के लिए मुझसे सिफारिश नहीं की। मैं उनके लिए एक पुत्र था, न कि कोई राजनेता। पिता की स्मृतियों के साथ मां को भी याद कर सीएम भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मां भी बेहद कर्मशील थीं। दोनों ने मुझे सदैव कर्मशील बने रहने की सीख दी और उनकी इसी सीख पर मैं अब तक अडिग होकर चला हूं और आगे भी चलता रहूंगा।
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पिता स्वर्गीय पूनम चंद यादव के अवसान के पश्चात उनके अंतिम संस्कार के दूसरे दिन पूजा अर्चना कर धार्मिक रस्मों का निर्वहन किया। साथ ही अस्थियों को शिप्रा नदी में प्रवाहित किया।#CMMohanYadav #PoonamChandYadav #ShipraRiver #OmShanti @CMMadhyaPradesh… pic.twitter.com/ZjWfrEiWoa
— TheSootr (@TheSootr) September 5, 2024
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