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baba mahakaal:उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में 26 अगस्त, 2025 को आयोजित महाकाल भस्म आरती ने एक बार फिर भक्तों को अपने दिव्य दर्शन से मोहित किया।
यह आरती भगवान महाकाल के भक्तों के लिए एक अभूतपूर्व अवसर थी, जिसमें भगवान का पंचामृत से अभिषेक और विशेष रूप से मस्तक पर बेलपत्र, चंद्र फूलों की माला और आभूषण से श्रृंगार किया गया।
महाकाल के दर्शन और पूजा
महाकालेश्वर मंदिर में, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, मंगलवार की सुबह मंदिर के पट 4 बजे खोले गए। जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, सबसे पहले भगवान महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। फिर पंचामृत पूजन हुआ, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया।
भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार
भगवान महाकाल का श्रृंगार विशेष रूप से आकर्षक था। इस दिन, बाबा महाकाल के मस्तक पर बेलपत्र, चंद्र, फूलों की माला, भांग, चंदन और आभूषण अर्पित किए गए।
इसके बाद भगवान को भस्म चढ़ाई गई, जो महाकाल के भक्तों के लिए बहुत विशेष माना जाता है। महाकाल के रजत मुकुट, रजत मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्पों की माला अर्पित की गई।
इसके बाद फल और मिष्ठान का भोग भी अर्पित किया गया। सुबह की भस्म आरती के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन किए और पुण्य लाभ कमाया।
श्रद्धालु नंदी महाराज के दर्शन करने के लिए नंदी हाल गए और नंदी जी के कान के पास जाकर अपनी मनोकामनाओं के लिए आशीर्वाद मांगा। मंदिर में भगवान महाकाल के जयकारे से वातावरण गूंज उठा, और पूरी जगह भक्तिमय हो गई।
भस्म अर्पण का धार्मिक महत्व
मंगलवार की भस्म आरती में श्रद्धालुओं का अनुभव अत्यधिक भावुक और दिव्य होता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान महाकाल उन्हें अपनी विशेष कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
भस्म आरती के दौरान मंदिर का वातावरण अत्यधिक पवित्र और उत्साही होता है, जिससे श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय अनुभव होता है।
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बाबा महाकालभस्म आरती | उज्जैन में भगवान महाकाल