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बाबा महाकालभस्म आरती: उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज सोमवार (1 सितंबर, 2025) की सुबह भक्तों से खचाखच भरा था। परंपरा मुताबिक भस्म आरती से पहले मंदिर के पट खोले गए। पंडे-पुजारियों ने सबसे पहले गर्भगृह में स्थापित सभी देव प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया।
इसके बाद, उन्होंने भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया और पंचामृत से अभिषेक किया। पंचामृत में दूध, दही, घी, शक्कर और फलों का रस सम्मिलित होता है, जो भगवान शिव की पूजा का एक अभिन्न अंग है। पंचामृत अभिषेक के बाद मंत्रोच्चार के बीच भगवान का श्रृंगार शुरू हुआ जिसने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राजा स्वरूप श्रृंगार
भगवान महाकाल का विशेष राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। बाबा को रजत त्रिपुण्ड और त्रिनेत्र धारण कराया गया, जो उनके राजसी और दिव्य रूप को दर्शाते हैं।
श्रृंगार की शुरुआत प्रथम घंटाल बजाकर की गई और फिर मंत्रोच्चार के साथ हरिओम जल अर्पित किया गया। इसके बाद, कपूर आरती हुई। श्रृंगार प्रक्रिया में भगवान के मस्तक पर भांग, चंदन और त्रिपुंड से विशेष श्रृंगार किया गया।
सोमवार की भस्म आरती
इसके बाद, ज्योतिर्लिंग को एक कपड़े से ढंककर भस्म अर्पित की गई। इस दिव्य श्रृंगार में भगवान को कई आभूषण अर्पित किए गए। शेषनाग का रजत मुकुट उनके सिर पर सुशोभित था, जबकि रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला उनके गले में डाली गई।
सुगंधित पुष्पों की मालाएं भी अर्पित की गईं, जिनमें मोगरे और गुलाब के फूल विशेष रूप से शामिल थे। भस्म आरती के बाद, भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। आरती के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।
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