Ujjain Mahakal Temple : उज्जैन महाकाल मंदिर में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा 18 अक्टूबर से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदल जाएगी। शीतकाल में अवंतिकानाथ सुबह आधा घंटा देरी से भोजन ग्रहण करेंगे। भस्म आरती के दौरान भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। रोजाना होने वाली पांच में से तीन आरतियों का समय भी बदलेगा। दिनचर्या में बदलाव का यह क्रम फाल्गुन पूर्णिमा तक जारी रहेगा।
गर्म जल से स्नान
पं. महेश पुजारी का कहना है कि महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में भगवान की दिनचर्या हर छह माह में गर्मी और सर्दी के क्रम में बदलती है। वर्तमान में भगवान की दिनचर्या गर्मी के मौसम के हिसाब से चल रही है। भगवान को ठंडे जल से स्नान कराया जा रहा है, लेकिन मंदिर में सर्दी की शुरुआत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से मानी जाती है। इस दिन से भगवान महाकाल ठंडे जल की जगह गर्म जल से स्नान शुरू करते हैं। साथ ही आरती का समय भी बदल जाता है।
18 अक्टूबर से कब होगी आरती
वर्तमान में प्रतिदिन सुबह 7 बजे दद्योदक या बालभोग आरती की जा रही है। इस आरती में भगवान को दही और चावल का भोग लगाया जाता है। 18 अक्टूबर से यह आरती सुबह 7.30 बजे से की जाएगी। इसी तरह वर्तमान में भोग आरती सुबह 10 बजे की जा रही है। इसमें भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिठाई का भोग लगाया जाता है। यानी भगवान को सुबह 10 बजे भोजन कराया जाता है। 18 अक्टूबर से भोग आरती सुबह 10.30 बजे होगी। इसका मतलब है कि सर्दियों में भगवान आधे घंटे देरी से भोजन करेंगे। फिलहाल संध्या आरती शाम 7 बजे की जाती है, लेकिन 18 अक्टूबर से संध्या आरती हर दिन शाम 6.30 बजे होगी। क्योंकि सर्दियों में सूर्यास्त जल्दी हो जाता है।
यह आरती व पूजन निर्धारित समय पर
प्रतिदिन प्रातः 4 बजे भस्म आरती तथा रात्रि 10.30 बजे शयन आरती पूर्व निर्धारित समय पर होगी। सायं 5 बजे संध्या पूजन का समय भी पूर्व निर्धारित रहेगा।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक