महाकाल मंदिर के गर्भगृह में वीआईपी कल्चर और प्रवेश को लेकर विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में वीआईपी प्रवेश की प्रथा आम बात हो गई है। लेकिन महाकाल मंदिर में पिछले डेढ़ साल से गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई है। गुरुवार 19 दिसंबर को तेलुगु देशम पार्टी के नेता पट्टाभि राम कोमारेड्डी की गर्भगृह में पूजा-अर्चना की तस्वीरें सामने आने के बाद यह विवाद और गहरा गया है। यह घटना महाकाल मंदिर के दर्शन में भेदभाव और वीआईपी कल्चर को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
टीडीपी नेता ने की पूजा
टीडीपी नेता पट्टाभि राम कोमारेड्डी महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पूजा करते हुए कैमरे में कैद हुए। गर्भगृह में उनकी पूजा ने विवाद खड़ा कर दिया क्योंकि हाल ही में गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच नाराजगी फैल गई।।
कलेक्टर की जांच के आदेश
टीडीपी नेता की पूजा के बाद विवाद बढ़ने पर उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी एसडीएम कृतिका भीमावद को सौंपी गई है, और गर्भगृह के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। इस मामले को लेकर अब मंदिर प्रशासन और अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं, कि कैसे वीआईपी के लिए मंदिर में विशेष प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि सामान्य श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश प्रतिबंधित है।
सोशल मीडिया पर बवाल
टीडीपी नेता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने सोशल मीडिया पर महाकाल मंदिर की पूजा की तस्वीरें पोस्ट की थीं, लेकिन विवाद बढ़ने पर उन्होंने इन तस्वीरों को हटा लिया। इसके बाद उन्होंने इंदौर में सफाई कार्यों का निरीक्षण करते हुए नई तस्वीरें पोस्ट कीं। सोशल मीडिया पर तस्वीरें हटाने को लेकर भी लोगों ने सवाल उठाए, जिससे मामले में और भी जटिलता आ गई।
गर्भगृह में प्रवेश पर रोक
महाकाल मंदिर में गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय कई कारणों से लिया गया। 4 जुलाई 2023 को सावन माह के दौरान भीड़ की अधिकता को देखते हुए गर्भगृह को 11 सितंबर 2023 तक बंद कर दिया गया था। हालांकि, एक साल बाद भी यह प्रतिबंध जारी है। मंदिर प्रशासन ने इसके पीछे शिवलिंग के क्षरण और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई दिशा-निर्देशों का हवाला दिया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की गई रिपोर्ट में भी गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या कम करने की सिफारिश की गई थी।
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