365 दिनों में केवल 24 घंटे के लिए खुलने वाले उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर ( Nagchandreshwar Temple ) के पट आज रात 12 बजे खुलेंगे। ये मंदिर साल में एक बार यानी नागपंचमी ( Nagpanchami ) पर खुलता है। इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
नागपंचमी पर्व पर भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। साल में एक बार खुलने वाले मंदिर हर साल दर्शन के लिए करीब लाखों श्रद्धालु आते है। माना जाता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के इस दुर्लभ दर्शन से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। नागपंचनी का पर्व आनंद- उमंग और आस्था के साथ मनाया जाता है।
रात 12 बजे खुलेंगे मंदिर के पट
नागपंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर ( Mahakaleshwar Temple ) के मुख्य शिखर के तीसरे खंड पर स्थित भगवान नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट आज 8 अगस्त की मध्यरात्रि को खोले गए। भगवान नागचंद्रेश्वर की विधि- विधान से पूजा- अर्चना के बाद दर्शनार्थियों के लिए दर्शन शुरू होंगे। यह मंदिर साल में केवल एक बार नागपंचमी पर्व पर ही खोला जाता है। सिर्फ इसी दिन मंदिर की दुर्लभ और अलौकिक प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं।
भगवान शिव नाग शैया पर विराजित हैं
महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिव के साथ देवी पार्वती बैठी है। संभवतः दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैया पर विराजित हैं। मंदिर में भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश और फन फैलाए सप्तमुखी नाग देव है। इसके साथ ही दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं। इस प्रतिमा में भगवान शिव के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए है।
मंदिर का इतिहास
महाकालेश्वर मंदिर का शिखर तीन खंडों में बंटा है। इसमें सबसे नीचे गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर भगवान का मंदिर है। यह मंदिर अतिप्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। जानकारी के अनुसार इस दुर्लभ प्रतिमा को नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित किया गया था।
यहां मंदिर के बारे में विस्तार से जानें...
नागचंद्रेश्वर मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित एक प्रसिद्ध और रहस्यमयी मंदिर है। यह मंदिर मुख्यतः नाग देवता को समर्पित है और इसे हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया जाता है।
मंदिर की विशेषताएं
- वर्ष में एक बार खुलना: इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके कपाट साल में सिर्फ एक बार, नागपंचमी के दिन खोले जाते हैं। बाकी समय यह मंदिर बंद रहता है।
- नाग और चंद्रमा का संयोग: मंदिर का नाम ही नागचंद्रेश्वर है, जो नाग और चंद्रमा के संयोग को दर्शाता है। हिंदू धर्म में नाग और चंद्रमा दोनों को ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पौराणिक महत्व: इस मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने नागराज तक्षक को शरण दी थी।
- वास्तु शास्त्र: मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है, जो इसे एक खास आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है।
बीजामंडल विदिशा
बीजामंडल, मध्य प्रदेश के विदिशा शहर में स्थित एक बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह एक विशाल मंडप है जिसका निर्माण पारंपरिक भारतीय वास्तुकला शैली में किया गया है। यह स्थान भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां एक विशाल बीजामंडल स्थापित है। विदिशा का प्राचीन सूर्य मंदिर, जिसे विजय मंदिर या बीजामंडल के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भी साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर हिंदुओं को बंद ताले में पूजन की परमिशन दी जाती है।
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