मध्य प्रदेश सरकार ( Madhya Pradesh Government ) उज्जैन का नाम बदलकर प्राचीन नाम उज्जयिनी करने की भी सोच रही है। जानकारी के मुताबिक पुराने जमाने में उज्जैन का नाम उज्जयिनी था, लेकिन बाद में यह उज्जैन हो गया। उज्जैन के नाम पर दुर्लभ उज्जयिनी अभिनंदन ग्रंथ तैयार हो रहा है। ये ग्रंथ दो हजार पन्नों का होगा, जिसमें देश के बड़े विद्वानों के लेख शामिल होंगे।
सीएम के पास पहुंचे प्रस्ताव
मध्य प्रदेश की डॉ.मोहन यादव ( Dr.Mohan Yadav ) सरकार के पास उज्जैन के कई विद्वानों के प्रस्ताव पहुंचे है, जिसमें Ujjain का नाम उज्जयिनी करने का सुझाव दिया गया है। प्रदेश सरकार उज्जैन का नाम भी बदलने पर विचार कर रही है। Ujjain जिले के अंतर्गत महिदपुर स्थित अश्विनी शोध संस्थान ने उज्जैन का प्रतीक चिह्न जारी करने का प्रस्ताव भी भेजा है।
ये नाम का प्रस्ताव क्यों ?
उज्जयिनी प्रतीक का यह नाम इसलिए रखा गया है ,क्योंकि यह उज्जयिनी से प्राप्त सिक्कों पर दिखाई देता है। उज्जयिनी चिह्न अयोध्या, कन्नौज, कोशांबी, मथुरा आदि के सिक्कों पर पाया जाता है जो इसकी सार्वभौमिकता बताता है।
उज्जैन का इतिहास
यह महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी।
उज्जैन को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयिनी, कनकश्रन्गा आदि हैं।
जैन धर्म के आराध्य भगवान श्री 1008 महावीर।