337 टन जहरीले कचरे की पैकेजिंग शुरू, एक्सपर्ट की कड़ी नजर

भोपाल गैस त्रासदी के यूनियन कार्बाइड के कचरा को पीथमपुर भेजने की तैयारी शुरू हो गई। विशेषज्ञों की निगरानी में जहरीले कचरे की पैकेजिंग की शुरुआत हो गई है। यह कचरा 250 km का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर ले जाया जाएगा।

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Vikram Jain
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कंटेनर से रात में पीथमपुर भेजा जाएगा जहरीला कचरा Photograph: (BHOPAL)

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BHOPAL. देश और दुनिया को हिला देने वाली भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के यूनियन कार्बाइड का कचरा अब 40 साल अब नष्ट होने जा रहा है। जहरीले कचरे के निपटान तैयारी तेज हो गई है। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा (Union Carbide Toxic Waste) की पैकेजिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है, और यह कचरा पीथमपुर (Pithampur) भेजा जाएगा, जहां उसे सुरक्षित निपटान के तहत नष्ट किया जाएगा। इसे नष्ट करने की प्रक्रिया में अत्यधिक सावधानी बरती जा रही है। 

जहरीले कचरे की पैकेजिंग शुरू

भोपाल गैस त्रासदी के लगभग 40 साल बाद, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री (Union Carbide Factory) में रखे गए 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे की पैकेजिंग (Packaging) की प्रक्रिया विशेषज्ञों की निगरानी में की जा रही है। रविवार को विशेषज्ञों की उपस्थिति में यह प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें कचरे को 12 कंटेनरों में भरा जा रहा है। इस कचरे को पीथमपुर भेजने के लिए एक विशेष ग्रीन कॉरिडोर (Green Corridor) तैयार किया जा रहा है, जो भोपाल से 250 किलोमीटर दूर स्थित पीथमपुर तक बनाया जाएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान कचरे का परिवहन देर रात तक शुरू नहीं हो सका था।

विशेष सुरक्षा और सावधानी का ध्यान

जहरीले कचरे को 12 कंटेनरों में भरते समय विशेष सावधानी बरती जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए 400 से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारी, विशेषज्ञ और डॉक्टर लगातार काम में जुटे हैं। 200 मीटर का दायरा सील किया गया है और आसपास के रास्तों को बंद कर दिया गया है। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

पीथमपुर में होगा कचरे का निपटान

कचरे का निपटान रामकी कंपनी (Ramky Company) के इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (Industrial Waste Management) विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। एक्सपर्ट्स की मॉनिटरिंग में ट्रकों में कचरा भरने की प्रक्रिया जारी है। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद यह पहला मौका है जब इस जहरीले कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया है। यह कचरा मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate) गैस के रिसाव से संबंधित है, जो 1984 में भोपाल में हुए भयावह गैस कांड का कारण बना था।

मिट्टी पर नहीं पड़ेगा कोई बुरा असर

भोपाल गैस त्रासदी राहत विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह (Swatantra Kumar Singh) ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए इस प्रक्रिया से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर किया। उन्होंने कहा कि यह कचरा मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate) के समान खतरनाक नहीं है और पीथमपुर में इसे नष्ट करने से आसपास के गांवों की जमीन और मिट्टी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसे सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाना है।

रासायनिक कचरा खतरनाक नहीं

स्वतंत्र कुमार सिंह ने आगे बताया कि यह रासायनिक कचरा उतना खतरनाक नहीं है, जितना की MIC था, जिसे कीटनाशक बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इस कचरे को जलाने के दौरान इसके जलने से पानी या मिट्टी के संपर्क में न आने के लिए एक लैंडफिल (Landfill) बनाया गया है, ताकि किसी भी प्रकार के प्रदूषण से बचा जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि अदालत के आदेश पर पहले ही विशेषज्ञों की निगरानी में 10 टन कचरे का निपटान किया जा चुका है। इस प्रक्रिया में आसपास के क्षेत्र में कोई नुकसान नहीं देखा गया।

कचरे के निपटान के लिए निर्देशों का पालन

स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि कुल 337 मीट्रिक टन पैक किया हुआ जहरीला कचरा पीथमपुर भेजा जाएगा। इस कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने के लिए भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट से पीथमपुर के रासायनिक कचरा निपटान केंद्र तक एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। सिंह ने यह भी बताया कि कचरे की पैकिंग, लोडिंग, परिवहन और अनलोडिंग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के दिशा-निर्देशों के तहत की जाएगी, ताकि इसे सुरक्षित रूप से उसके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके।

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