केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक में हुए फैसलों की पूरी जानकारी दी। रेल मंत्री ने मनमाड़-इंदौर के बीच नई रेल लाइन को मंजूरी दी है। इस रेल लाइन के बनने के बाद मुंबई उज्जैन की दूरी 200 किमी कम हो जाएगी।
18036 करोड़ का प्रोजेक्ट
मनमाड़-इंदौर के बीच न्यू रेल लाइन को मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने 309 किलोमीटर की योजना को मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट 18 हजार 036 करोड़ का है। नई रेल लाइन के लिए 2200 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की लंबाई 268 किमी है। इसमें 50 किमी मनमाड़ से धुले तक काम हो रहा है। अब धुले से इंदौर के महू तक लाइन बिछाने के लिए डीपीआर तैयार है। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन पर ठोस प्रगति हुई है। इस ट्रैक के बनने से इंदौर की मुंबई व दक्षिण के राज्यों के बीच संपर्क सुगम होगा। 218 किमी हिस्से में लाइन बिछाई जानी है, उसमें 7 सुरंगें भी बनेंगी।
मुंबई उज्जैन की दूरी 200 किमी कम होगी
मुंबई उज्जैन की दूरी 607 किमी है। नई रेल लाइन बनने के बाद मुंबई-उज्जैन की दूरी 200 किमी कम हो जाएगी। साथ ही रेल लाइन बनने से लाखों लोगों का रोजगार भी मिलेगा।
इन जिलों को होगा फायदा
इंदौर मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट बनने से इंदौर, धार, बड़वानी, खरगोन, ग्वालियर, भोपाल जिले को फायदा होने वाला है, साथ ही महाराष्ट्र के धुले और नासिक जिले को भी फायदा होगा। पीथमपुर से रेल मार्ग से माल ढुलाई में आसानी होगी। इसके अलावा आगरा, झांसी कानपुर लखनऊ वाराणसी को भी फायदा होगा।
उज्जैन के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
इस परियोजना के साथ 30 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जिससे आकांक्षी जिले बड़वानी को बेहतर सम्पर्क मिलेगा। नई रेलवे लाइन परियोजना से लगभग 1,000 गांवों और लगभग 30 लाख आबादी को सम्पर्क मिलेगा। परियोजना देश के पश्चिमी/दक्षिण-पश्चिमी हिस्से को मध्य भारत से जोड़ने वाला छोटा रास्ता उपलब्ध कराकर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी। इससे उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न पर्यटन/धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
2023 का सर्वे फेल
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन सर्वे 2023 में हुआ था, लेकिन उसको फेल घोषित कर दोबारा सर्वे कराया गया था। पहले हुए सर्वे में मिट्टी और पत्थर के सैंपल फेल किए गए थे। इसके अलावा रेल अफसरों ने पाया था कि पिछला सर्वे तमाम मापदंडों की कसौटी पर खरा नहीं उतरा था। जिसके बाद जनवरी 2024 में फिर से सर्वे में पुल-पुलियाओं के अलावा सुरंगों के लिए मिट्टी और चट्टानों की जांच की गई थी।
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