संजय शर्मा, BHOPAL. मध्य प्रदेश ( MP) में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ों के आरोपों की लंबी फेहरिस्त में बुधवार को राज्य शिक्षा केंद्र (State Education Centre) का एक कारनामा और जुड़ गया। मामला पिछली सरकार के तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री और उनके स्टाफ को राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा किराए पर वाहन उपलब्ध कराने से संबंधित है। कांग्रेस ने भाजपा नेताओं और राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की है।
शिकायत में प्रदेश कांग्रेस के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ सवाल उठाए हैं। कहा, राज्य शिक्षा केंद्र ने एक साल में फर्जी तरीके से झूठे बिलों पर 36 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। शिकायतकर्ताओं ने मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से भी भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है।
लग्जरी वाहनों के बिल लगाकर कैसे किया भुगतान ?
कांग्रेस ने जिन वाहन, बिल और भुगतान के जिन दस्तावेजों के आधार पर राज्य शिक्षा केंद्र और स्कूल शिक्षा विभाग के तत्कालीन मंत्री इन्दर सिंह परमार को घेरा है। वे परिवहन विभाग से RTI के जरिए प्राप्त हुए हैं।
लोकायुक्त में शिकायत करने वाले कांग्रेस नेता पुनीत टंडन और मीडिया प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केके मिश्रा ने बुधवार को पीसीसी में मीडिया के सामने ये दस्तावेज रखे। यह भी बताया की राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों ने परिवहन रिकॉर्ड में दर्ज क्रेटा कार को सियाज दिखा दिया और साढ़े 8 लाख रुपए के बिल का भुगतान कर दिया। इसी तरह स्कूल शिक्षा मंत्री और उनके स्टाफ के नाम पर सीधे ट्रेवल एजेंसी को पेमेंट कर दिया। जबकि वाहन ( MP 04 ZK 4477) टैक्सी कोटा में दर्ज नहीं है।
आल्टो की जगह कर दिया डिजायर के नाम से भुगतान
इसी तरह एमपी 04 बीसी 7480 पर रजिस्टर स्कार्पियो को क्रिस्टा दर्शा कर सालभर का पौने 2 लाख रुपए का बिल चुकाया गया, जबकि इस रेंज के वाहन के लिए ट्रेवल एजेंसी का रेट कार्ड 75 हजार रुपए महीना है। एक अन्य वाहन एमपी 04 बीसी.7755 के 11 महीने के उपयोग के लिए 18 लाख रुपए की बिल राशि चुकाई गई है, तो वाहन एमपी 04 जेडएच. 5566 के लिए दो माह का बिल चार लाख रुपए चुकाए गए हैं। सबसे बड़ी धांधली तो यह है कि वाहन एमपी 04 सीए 9529 जो की वास्तव में आल्टो कार है, उसे डिजायर बताकर 6 माह का बिल सवा दो लाख रुपए चुकाया गया।
डोमेस्टिक व्हीकल के अनुबंध से सरकार को दोहरा नुकसान
वित्त विभाग द्वारा अधिकारियों- माननीयों के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले वाहनों के लिए नियम बनाए गए हैं। जिसमें किस श्रेणी के वाहन सरकार के मंत्रियों और अफसरों को उपलब्ध कराए जाएंगे और किराए की इनकी दर कितनी होगी। वित्त विभाग ने वाहनों पर बेवजह होने वाले खर्च को रोकने के लिए किराए के अनुबंध के लिए इनका परिवहन विभाग में टैक्सी कोटे में रजिस्टर्ड होना भी जरूरी है। टैक्सी कोटे में वाहन रजिस्टर होने से ट्रेवल एजेंसी को परमिट शुल्क जमा करानी होती है। जिससे सरकार के ही इस विभाग की कमाई बढ़ती है। यहां राज्य शिक्षा केंद्र ने इसका ध्यान नहीं रखा और महीने में तय राशि से भी ज्यादा का भुगतान कर डाला।
टंडन का कहना है कि भोपाल सीएमएचओ ऑफिस द्वारा ट्रेवल एजेंसी से वाहनों के अनुबंध और ऑटो रिक्शा और बाइकों के रजिस्ट्रेशन नंबर पर बिल बनाकर भुगतान करने की शिकायत भी उन्होंने लोकायुक्त कार्यालय में दर्ज कराई है।