हाल ही में एक दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें मोर ( Peacock ) के साथ बर्बरता की सभी सीमाएं पार की जाती दिख रही हैं। इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। वीडियो में सड़क किनारे पड़े हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर ( national bird peacock ) को लोगों द्वारा अनैतिक और अमानवीय तरीके से प्रताड़ित करते हुए देखा जा सकता है।
National Bird 😟
— Dr. Anita Vladivoski (@anitavladivoski) September 12, 2024
जाहिल लोग pic.twitter.com/ofnOU06b7m
वीडियो की जगह की पुष्टि नहीं
यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, हालांकि अभी तक इसकी सही लोकेशन की पुष्टि नहीं हो सकी है। वीडियो में दिखाए गए दृश्यों में मोर के साथ अत्यधिक क्रूरता की जा रही है, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है। लोगों में नाराजगी है कि एक राष्ट्रीय पक्षी के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार कैसे हो सकता है, जबकि इसे भारत सरकार द्वारा संरक्षित जीवों की सूची में शामिल किया गया है।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोगों ने इस कृत्य की निंदा करते हुए आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। तो वही यूजर्स ने यह भी मांग की है कि इन मोर पंखों को यदि खरीदना बंद कर दिया जाए तो मर के साथ इस तरह की अमानवीयता की घटनाएं रुक सकेंगी। लोगों का कहना है कि देश के राष्ट्रीय प्रतीक के साथ इस तरह की बर्बरता असहनीय है और संबंधित अधिकारियों को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
कानून में सख्त सजा का है प्रावधान
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, और इसके साथ किसी भी प्रकार की बर्बरता या हत्या कानूनन अपराध है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मोर को संरक्षित जीवों की श्रेणी में रखा गया है, जिसके अनुसार इसकी हत्या या इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की बर्बरता करने पर कठोर दंड का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर जेल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
कार्रवाई की उठ रही मांग
वीडियो के सामने आने के बाद कई सोशल एक्टिविस्ट और एनजीओ ने इस घटना पर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से मामले की त्वरित जांच और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं हमारे समाज के नैतिक पतन की ओर इशारा करती हैं और इसके लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है। यह वीडियो एक बार फिर से इस ओर ध्यान दिलाता है कि हमारे समाज में पशु-पक्षियों के साथ हिंसा और क्रूरता को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इस प्रकार की घटनाओं से यह साबित होता है कि चाहे कानून कितना ही सख्त हो, जब तक जागरूकता और नैतिकता का संचार नहीं होगा, तब तक इस तरह की बर्बरता जारी रहेगी।
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