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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश की बेटी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर अनर्गल बयान देकर कठघरे में आए मंत्री विजय शाह एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। मंत्री शाह के लिए नगर निगम इंदौर में अल्ट्रेशन नक्शा पास होने से लेकर कंपाउंडिंग का बड़ा खेल खेला गया।
इस तरह समझिए निगम और शाह के गठजोड़ को
मंत्री शाह का स्कीम 114 पार्ट 2 में प्लाट नंबर 86 है जो निगम के जोन सात के वार्ड 31 में आता है। यह व्यावसायिक प्लाट है जिसका एरिया 371 वर्गमीटर है।
- अपने कमर्शियल प्लॉट पर उन्होंने जी प्लस 3 कमर्शियल बिल्डिंग के लिए 25 मार्च 2023 को नक्शा पास कराया, इसमें बिल्डअप एरिया नक्शे में दिया गया 285 वर्गमीटर
- 30 सितंबर 2024 को एक आवेदन शाह की ओर से लगा कि उन्होंने अभी यहां केवल 67.57 वर्गमीटर ही बनाया है और इस नक्शे में संशोधन कराना चाहते हैं। इसकी मंजूरी उन्हें 10 अक्तूबर 2024 को मिली और इस मंजूरी लैटर में निगम की ओर से इसमें मौजूदा निर्माण 67.57 वर्गमीटर बिल्डअप को जीरो बताया गया। नए संशोधन में फ्रेश जी प्लस 3 बिल्डिंग की मंजूरी हुई और इसमें बिल्डअप एरिया बताया गया 382.47 वर्गमीटर।
- अब चौंकाने वाला काम हुआ। नक्शा संशोधन की मंजूरी तो 10 अक्तूबर 2024 को मिली, यानी इसके बाद ही बिल्डिंग को नक्शा मंजूरी के बाद बनना शुरू होना था। जब बिल्डिंग बन जाती है। इसके बाद ही इसकी जांच होती है और फिर अधिक निर्माण पाए जाने पर कंपाउंडिंग की प्रक्रिया होती है, यानी अधिक निर्माण को वैध करने के लिए निगम एक फीस लेता है और फिर वैध करता है। लेकिन इसमें भी पार्किंग एरिया में निर्माण, एमओएस (मिनिमम ओपन स्पेस) निर्माण को वैधता नहीं होती है।
- लेकिन शाह की ओर से नक्शा संशोधन मंजूरी के दो दिन बाद ही 12 अक्टूबर 2024 को ही अधिक निर्माण बताकर कंपाउंडिंग का आवेदन कर दिया गया। आश्चर्य है कि दो दिन पहले नक्शा संशोधन हुआ तो फिर दो दिन में बिल्डिंग खड़ी कैसे हो गई। यानी काम पहले से चल रहा था।
- निगम के अधिकारियों ने आंखे मूंद कर रखी और आवेदन लगने के 27 दिन में ही 6 नवंबर 2024 को ही निगम ने कंपाउंडिंग की मंजूरी दे दी और बिल्डअप एरिया 482.47 वर्गमीटर मंजूर कर लिया गया। एमओएस में पार्किंग भी काउंट कर ली गई जो हो नहीं सकता।
18 लाख की फीस में हो गया 6 करोड़ का खेल
इस पूरी कंपाउंडिंग के लिए और अवैध निर्माण के लिए मंत्री विजय शाह को निगम को औपचारिक फीस देन पड़ी केवल 18 लाख 31 हजार रुपए। वहीं करीब सौ वर्गमीटर के अवैध कमर्शियल निर्माण और इसके साथ ही 20% नॉन एफएआर पर्मिसबल यानी 96.29 वर्गमीटर का लाभ व अन्य निर्माण में की गई अनियमितताओं से उन्हें सीधा लाभ हुआ 5-6 करोड़ रुपए का।
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जिस बिल्डिंग अधिकारी की जांच इसमें भी उसी का हाथ
यह नक्शा पहले तो बिल्डिंग ऑफिसर पीएस कुशवाह ने पास किया था। लेकिन जब बड़े स्तर पर अवैध निर्माण को वैध करने की बारी आई तो फिर शिवराज सिंह यादव ने खेल किया। यह वही यादव है जिन पर हाल ही में डॉक्टर इजहार मुंशी की मल्टी को लेकर 15 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप लगे और जब ऐसा नहीं हुआ तो उसे तुड़वा दिया, जिसकी जांच निगमायुक्त शिवम वर्मा ने शुरू करा दी है। दूसरी बार नक्शा अल्ट्रेशन और कम्पाउंडिंग का काम उन्होंने ही किया। इस मामले में यादव ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।
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