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रावण की पूजा
जहां देश के अधिकांश हिस्सों में बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में Vijayadashami पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है, वहीं मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में इसके विपरीत परंपरा है। इन क्षेत्रों में, रावण को जलाने की बजाय पूजा जाता है।
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दामाद रावण
मंदसौर के लोग मानते हैं कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की बेटी थीं, इसलिए विजयादशमी पर रावण को दामाद (जमाई राजा) मानकर पूजा जाता है।
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रावण की प्रतिमा
खानपुर क्षेत्र में एक 35 फीट ऊंची रावण की प्रतिमा स्थापित की गई है, जो विशेष रूप से दशहरे के दिन पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल दशहरे के अवसर पर बड़े धूमधाम से आयोजन होते हैं।
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वैष्णव समाज में रावण की पूजा
नामदेव वैष्णव समाज में रावण की पूजा एक खास परंपरा है। कुछ स्थानों पर पूजा के बाद रावण का प्रतीकात्मक वध भी किया जाता है। यह परंपरा समाज के धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
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विदिशा के रावण बाबा
विदिशा के रावण ग्राम में रावण को 'रावण बाबा' के नाम से पूजा जाता है और उन्हें ग्राम देवता माना जाता है। यहाँ की स्थानीय परंपराओं में रावण की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा गांव के लोगों की आस्था और विश्वास को दर्शाती है।
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रावण बाबा का मंदिर
इस गांव में रावण का एक प्राचीन मंदिर है, जहां उनकी 10 फीट लंबी शयन मुद्रा में लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा और मंदिर गां की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर हैं। यहाँ की पूजा स्थानीय लोगों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।
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रावण का भंडारा
विजयादशमी के दिन यहां रावण दहन नहीं होता, बल्कि लोग उनके ज्ञान और शिव भक्ति को याद करते हैं। कुछ स्थानों पर शोक भी मनाया जाता है, इसके बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। (दशहरा ) यह परंपरा स्थानीय संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक है।