/sootr/media/media_files/2025/11/22/mahakaal-2025-11-22-13-15-48.jpg)
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-00-29.jpg)
विक्रमादित्य और महाकालेश्वर मंदिर का रिश्ता
Latest Religious News: महाराजा विक्रमादित्य और उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का रिश्ता केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि बहुत गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक है। उनकी कहानी बताती है कि कैसे एक महान राजा ने बाबा महाकाल की नगरी को अपनी राजधानी बनाया।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-00-40.jpg)
उज्जैन का धार्मिक महत्व
राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन नगरी को अपनी राजधानी बनाया था। वह जानते थे कि उज्जैन एक पुण्यभूमि है। जहां भगवान महाकाल स्वयं निवास करते हैं। इसीलिए उज्जैन को प्राचीन काल से ही धर्म और राजनीति का केंद्र माना जाता रहा है।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-00-51.jpg)
महाकाल के अनन्य भक्त
विक्रमादित्य भगवान महाकाल के बहुत बड़े भक्त थे। वह हर दिन मंदिर में आते थे और बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना करते थे। उनकी भक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने अपना राज-पाट भी बाबा महाकाल के चरणों में समर्पित कर दिया था।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-01-00.jpg)
महाकाल का शासन और आशीर्वाद
ऐसी मान्यता है कि उज्जैन पर साक्षात् महाकाल ही शासन करते हैं। राजा विक्रमादित्य ने महाकाल को उज्जैन का पहला और अंतिम राजा माना था। वह स्वयं को महाकाल का सेवक मानते थे, जो बाबा के प्रतिनिधि के रूप में राज करते थे।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-01-15.jpg)
मंदिर की भव्यता
विक्रमादित्य के समय में महाकाल मंदिर को भव्यता और दिव्यता प्राप्त हुई। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी देखरेख में यह मंदिर हिंदू धर्म के सबसे बड़े आस्था केंद्रों में से एक बन गया।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-01-27.jpg)
काल की गणना और विक्रम संवत
राजा विक्रमादित्य ने शकों को हराकर विजय प्राप्त की थी। इस विजय के उपलक्ष्य में उन्होंने विक्रम संवत की शुरुआत की थी । यह काल गणना हिंदू पंचांग में आज भी बाबा महाकाल की नगरी से शुरू मानी जाती है।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-01-38.jpg)
न्याय और धर्म की स्थापना
विक्रमादित्य का दरबार न्याय और धर्म के लिए विश्व प्रसिद्ध था। उन्हें महाकाल के आशीर्वाद से ही उत्तम न्याय करने की शक्ति प्राप्त हुई थी। उनकी कहानी बताती है कि हमें हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
/sootr/media/media_files/2025/11/22/vikramaditya-and-mahakal-2025-11-22-13-01-49.jpg)
महाकाल की कथाओं में स्थान
राजा विक्रमादित्य की कई पौराणिक कथाओं का केंद्र महाकाल मंदिर ही है। कहा जाता है कि इन कथाओं में बाबा महाकाल ने विक्रमादित्य को कई बार दर्शन दिए। इस तरह महाकाल और विक्रमादित्य की गाथाएं अमर हो गईं। डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us