INDORE. मध्य प्रदेश व्यापमं घोटाले में सुधीर शर्मा को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन पर दर्ज चारों एफआईआर को खारिज किया गया है। सुधीर शर्मा ABVP से जुड़े और CRISP के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं। सुधीर शर्मा एबीवीपी के समय से तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के करीबी और एक समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने यह फैसला सुनाया।
सुधीर शर्मा व्यापमं की इन भर्तियों में थे आरोपी
व्यापमं घोटाले के दौरान एसआई भर्ती 2012, पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2012, संविदा शिक्षक वर्ग 2 (2011) और वनरक्षक परीक्षा 2013 की भर्ती में धांधली को लेकर एसटीएफ ने नंवबर 2013 में क्रिस्प (सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉर्मेंस) के पूर्व चेयरमैन सुधीर शर्मा को मिडिलमैन बताते हुए केस दर्ज किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई ने यह केस लिया और उन पर दिसंबर 2015 में एफआईआर की।
सीबीआई ने इस केस में यह लाइन लिख दी
सीबीआई ने इस केस को लेकर बताया कि संजीव सक्सेना मिडिलमैन ने सुधीर शर्मा को भर्ती के लिए नाम दिए, शर्मा ने यह नाम पंकज त्रिवेदी को दिए और पंकज ने यह नाम प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा को दिए। पंकज त्रिवेदी को सुधीर शर्मा ने ही एक्जाम कंट्रोलर बनवाया था। महिंद्रा के पास से जो डेटा जब्त हुए इसमें एक्सेल शीट पर मिला है कि यह सभी नाम सुधीर शर्मा द्वारा आए हैं और इसमें मनी के आगे 0 लिखा है। यानी इनसे पैसे नहीं मिलना है। वहीं सीबीआई ने सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) का हवाला दिया कि शर्मा, महिंद्रा, सक्सेना के बीच बात हुई।
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अलग-अलग केस में सीबीआई की दो तरह की बातें
वहीं इस मामले में दर्ज अलग-अलग एफआईआर के तथ्य क्रॉस हुए। एक जगह सीबीआई ने लिखा पुलिस एसआई भर्ती के लिए दो उम्मीदवारों से 23 लाख रुपए लिए गए। वहीं कुछ जगह लिखा कि संजीव सक्सेना मिडिलमैन ने सीधे डील भी की।
सीबीआई के केस को इस तरह किया गया चैलेंज
इस मामले में सीबीआई के इस केस को शर्मा द्वारा चुनौती दी गई और कहा गया कि सीबीआई ने कभी उनके पास से किसी तरह की राशि जब्त नहीं की, कोई मनी ट्रांजेक्शन नहीं पाया गया है, सीडीआर से यह साबित नहीं होता कि भर्ती के लिए फोन हुए थे, वहीं संजीव सक्सेना की जब सीधे पंकज, नितिन से बात थी तो फिर वह सुधीर शर्मा को क्यों भर्ती के लिए बोलता वह तो सीधे ही बोल सकता था।
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हाईकोर्ट बेंच ने इस आधार पर की एफआईआर खारिज
हाईकोर्ट बेंच ने इन तथ्यों के बाद पाया कि सीबीआई के केस में मटेरियल एविडेंस नहीं है, कोई मनी ट्रांजेक्शन भी नहीं है और इस काम के लिए कोई लेन-देन नहीं हुआ क्योंकि सीबीआई खुद बता रहा है कि एक्सेल शीट में 0 मनी लिखा हुआ है। ऐसे में एफआईआर क्वैश की जाती है।
दो साल जेल में रहे थे सुधीर शर्मा
बता दें कि व्यापमं घोटाले का खुलासा वर्ष 2013 में हुआ था। आरोपी बनाए जाने के बाद खनन कारोबारी और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सुधीर शर्मा ने जुलाई 2014 में भोपाल जिला अदालत में आत्मसमर्पण किया था। करीब दो वर्षों तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
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