जिला प्रशासन की टीम तहसीलदार, पटवारी पर जिस जमीन को छुड़ाने के लिए गोलियां चली, वह जमीन ईडी इंदौर में साल 2015 से अटैच है। यह जमीन अरविंदो अस्पताल ग्रुप के डॉ. विनोद भंडारी की है, जिसे छुड़ाने के लिए वह अभी से नहीं बल्कि 2017 से जुगत में लगा हुआ है। आखिर इस मामले में हाईकोर्ट, ईडी कोर्ट, ईडी और प्रशासन के पास सभी तरह प्रयास किए।
इसलिए चाहता है भंडारी जमीन मुक्त
व्यापमं घोटाले में ईडी की जांच में आया था कि डॉ. विनोद भंडारी ने करीब आठ करोड़ रुपए इस घोटाले से कमाए हैं और इससे जमीन खरीदी। अरविंदो अस्पताल के पीछे की इसी जमीन को इस घोटाले की कमाई से करीब आठ करोड़ रुपए में खरीदा गाया था।
यह जमीन आज की तारीख में 50 करोड़ से ज्यादा की कीमत की हो चुकी है। भंडारी इस जमीन को ईडी से मुक्त कराने में लगा हुआ है, लेकिन अतिक्रमण हो रहे हैं। ऐसे में भंडारी को उपयुक्त लगा कि जब तक ईडी से जमीन मुक्त नहीं हो जाती, इसे ईडी कोर्ट, ईडी के जरिए प्रशासन का उपयोग करके कब्जे से मुक्त कराया जाए।
ईडी कोर्ट से मुक्त करा चुका था जमीन, हाईकोर्ट ने पलटा फैसला
डॉ. भंडारी ने इस मामले में ईडी को यहां तक अप्रोच की थी कि वह जमीन की कीमत 8 करोड़ की एफडी रख ले और जमीन को अटैचमेंट से मुक्त कर दे, जो साल 2015 में अटैच की गई। बाद में ईडी ट्रिब्यूनल ने भी साल 2016 में इस अटैचमेंट पर मुहर लगा दी।
ईडी ने जब इसे नहीं माना तो वह ईडी स्पेशल कोर्ट में गया और वहां से उनके हक में फैसला हो गया। ईडी कोर्ट ने आदेश दे दिए कि जमीन मुक्त की जाए और एफडी ले ली जाए, साथ ही जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाए। लेकिन ईडी इस फैसले के खिलाफ डॉ. विनोद भंडारी, डॉ. महक भंडारी और डॉ. मंजूश्री भंडारी के खिलाफ हाईकोर्ट गया। इसमें नवंबर 2023 को फैसला हुआ कि मनी लाण्ड्रिंग एक्ट में अटैच प्रापर्टी मुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए एफडी लेकर जमीन मुक्त नहीं की जा सकती है। जमीन अटैच ही रहेगी।
2017 से इस तरह डॉ. भंडारी जुटा है जमीन को लेकर
भंडारी ने जमीन पर कब्जे को लेकर 2017 नवंबर में जिला प्रशासन को पत्र लिखा। इसके बाद ईडी के जरिए भी जनवरी और अक्टूबर 2019, जुलाई 2020 में भी पत्र लिखे गए। इसके बाद दिसंबर 2022 में हाईकोर्ट में अपील की और अतिक्रमण हटवाने के निर्देश प्राप्त किए।
इसके बाद लगातार ईडी स्पेशल कोर्ट में आवेदन दिए, जिसमें मई 2024 को आखिरकार ईडी को सख्त आदेश हुए कि कब्जा मुक्त कराई जाए जमीन। इसके बाद ईडी ने कलेक्टर आशीष सिंह से बात की और कब्जा मुक्त कराने के लिए पत्र दिया। इसके बाद 14 अगस्त को टीम वहां पहुंची, जिसमें सुरेश पटेल के गार्ड ने अधिकारियों पर फायरिंग कर दी।
आरोप यह भी कि भंडारी ने भी जमीन कब्जा की
उधर पटेल पक्ष का भी आरोप है कि भंडारी ने ही जमीन पर कब्जा किया हुआ है। प्रशासन को उनकी जमीन मुक्त कराने के पहले सरकारी जमीन की नपती करना चाहिए। साथ ही सुरेश पटेल के बेटे मुकेश पटेल का आरोप है कि गोलियां तो पहले डॉ. विनोद भंडारी द्वारा भेजे गए गार्ड ने चलाई थी।
इसके बाद उनका जवाब देने के लिए हमारे गार्ड ने नशे की हालत में हवाई फायरिंग की थी, हमने दो राउंड ही चलाए, लेकिन डॉ. भंडारी की ओर से कई गोलियां चलवाई गई थी। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या वाकई भंडारी के पक्ष से गोलियां चली थी और चली थी तो फिर उनको यह अधिकार किसने दिया जमीन मुक्त कराने के लिए वह मौक पर जाएं और गोलियां चलाएं। यह पुलिस की जांच का भी विषय है।
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