आमीन हुसैन, रतलाम : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार ( Madhya Pradesh Government ) और सीबीआई ( CBI ) को नोटिस जारी किया है। नोटिस कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ( Congress leader Paras Saklecha ) की याचिका पर जारी किया गया है, जो व्यापमं घोटाले मामले में कोई कार्रवाई न होने को लेकर दायर की गई है। सकलेचा ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अन्य की भूमिका पर सवाल उठाए थे और उनसे भी पूछताछ की मांग की थी। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से याचिका खारिज होने के बाद अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
इंदौर हाईकोर्ट ने मांग की खारिज
जुलाई 2009 में व्यापमं घोटाला ( Vyapam scam ) शासन के संज्ञान में लाया गया था। इसके बाद 17 दिसंबर 2009 को जांच कमेटी गठित की गई थी। इसके बावजूद पारस सकलेचा ने 2010 से 2013 तक घोटाले के जिम्मेदार व्यक्तियों से पूछताछ करने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक 20371/2023 दायर की थी। उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को एसटीएफ को दस्तावेजों के साथ 350 पेज का आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की थी। इसे इंदौर हाईकोर्ट ( Indore High Court ) ने 19 अप्रैल 2024 को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे स्वीकार करते हुए न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार ने राज्य शासन और सीबीआई को नोटिस जारी करने के आदेश दिए थे। मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता व राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और सर्वम रीतम खरे ने की थी।
घंटों बयान देने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
याचिकाकर्ता सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा है कि जब एसटीएफ ने व्यापमं की जांच में बिंदुओं को शामिल करने के लिए 27 नवंबर 2014 को अधिसूचना क्रमांक 21503/14 जारी कर दस्तावेजों के साथ आवेदन आमंत्रित किए थे, तब उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को 350 पेज का आवेदन दस्तावेजों के साथ दिया था। मौखिक साक्ष्य के अलावा उन्होंने 12 जून 2015 को 71 पेज का लिखित बयान और 240 पेज के दस्तावेज भी एसटीएफ को दिए थे, उन्होंने 11 से 13 सितंबर 2019 तक 13 घंटे तक फिर से एसटीएफ को बयान दिया, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इन सभी लोगों की भूमिका पर सवाल उठे
सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। सीबीआई को अक्टूबर 2016 में बयान देने के बाद मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भी कार्रवाई के लिए आवेदन भेजा था। सकलेचा ने अपने आवेदन में व्यापमं घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ( जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था), मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, संचालक चिकित्सा शिक्षा, सचिव चिकित्सा शिक्षा व्यापमं के चेयरमैन आदि जिम्मेदार अफसरों की भूमिका के बारे में दस्तावेज पेश किए थे। इसी आधार पर उन्होंने उक्त सभी से पूछताछ करने की मांग भी की थी। इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
याचिका में इसका भी जिक्र किया गया
सकलेचा ने कहा कि दिसंबर 2009 में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती की जांच के आदेश के बावजूद निजी मेडिकल कॉलेजों की भर्ती की जांच नहीं की गई। सकलेचा ने तथ्यों के प्रमाण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में करीब 850 पन्नों के दस्तावेजी साक्ष्य पेश कर तय समय सीमा में जांच और नियमानुसार कार्रवाई का अनुरोध किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि व्यापमं घोटाले की जांच में सीबीआई और एसटीएफ ने खूब लीपापोती की है। कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच में शामिल नहीं किया गया है और बड़े लोगों को बचा लिया गया है। सिर्फ रैकेट चलाने वाले, दलाल, स्कोरर, सॉल्वर, छात्र, अभिभावक और नाममात्र के छोटे सरकारी अधिकारी को ही आरोपी बनाया गया है। सकलेचा के मुताबिक सरकार और प्रशासन के सहयोग के बिना इतने बड़े रैकेट का 10 साल तक चलना संभव नहीं है।
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