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सोशल मीडिया, न्यूज चैनलों और टीवी पर भारत-पाक तनाव (India Pakistan Tention) से जुड़ी खबरों का असर आम नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में तनाव अब सिर्फ दो देशों के बीच नहीं बल्कि लोगों के दिमाग में प्रवेश कर चुका है। हाल के दिनों में नई मानसिक स्थिति “वॉर एंग्जायटी” के मामले उभरने लगे हैं। इसका सीधा संबंध युद्ध की आशंका से जुड़ी नकारात्मक खबरों से है, जो आम व्यक्ति के भीतर डर, घबराहट और बेचैनी को जन्म देती हैं।
क्या है वॉर एंग्जायटी जब दिमाग में चलने लगे युद्ध
भोपाल के जेपी हॉस्पिटल के डॉ. राकेश श्रीवास्तव के मुताबिक, वॉर एंग्जायटी एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को युद्ध, हमले या भयावह परिदृश्य की कल्पना से तनाव (Stress होता है। जब व्यक्ति लगातार टीवी, मोबाइल या सोशल मीडिया पर डर फैलाने वाली खबरें देखता, सुनता या पढ़ता है, तो उसकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। उसे हर तरफ खतरा महसूस होता है, और बेचैनी बढ़ जाती है।
एक्सीडेंट की खबरें बनाने या पढ़ने वालों को भी लगता है डर
ऐसे भी मामले सामने आए हैं जो जर्नलिस्ट डेली एक्सीडेंट और क्राइम की खबरें बनाते हैं उनके दिमाग में भी एक शंका खुद का एक्सीडेंट होने या फिर खुद के साथ कुछ गलत होने को लेकर चलती है। ये भी एंग्जायटी के लक्षण के हैं जो नेगेटिव खबरें लिखने या पढ़ने वालों के साथ होती है।
War Anxiety के ये हैं लक्षण
- बिना किसी वजह के बेचैनी और घबराहट महसूस होना
- नकारात्मक सोच का बार-बार आना
- अफवाहों को सच मान लेना और उसे दूसरों से साझा करना
- सरकार या संस्थाओं पर भरोसा कम हो जाना
- बार-बार न्यूज चैनल या सोशल मीडिया स्क्रॉल करते रहना
- नींद में खलल और मन की स्थिरता का टूटना
फेक न्यूज बनी चिंता की असली वजह
सोशल मीडिया पर भारत-पाक तनाव से जुड़ी अफवाहें तेजी से फैल रही हैं। फेक न्यूज दुश्मन देश की ओर से भी फैलाई जाती हैं, जिनका उद्देश्य लोगों के मन में डर भरना होता है। ऐसी जानकारी की सही प्रमाणिकता बेहद जरूरी है। बिना पुष्टि के खबरों को शेयर करना ना सिर्फ मानसिक तनाव बढ़ाता है, बल्कि समाज में भ्रम भी फैलाता है।
वार एंग्जायटी से ऐसे पाएं राहत
- योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें। यह तनाव को कम करने का प्राकृतिक उपाय है।
- सोशल मीडिया पर सीमित समय बिताएं, खासकर जब खबरें डर फैलाने वाली हों।
- फेक न्यूज से सावधान रहें और केवल सरकार की अधिकृत वेबसाइट से जानकारी लें।
- ऐसे लोगों से दूरी बनाएं, जो बार-बार डर और युद्ध की बातें करते हैं।
- नियमित व्यायाम से शरीर और दिमाग दोनों सक्रिय रहते हैं, जिससे मन शांत रहता है।
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रूस यूक्रेन वार के दौरान हुआ था असर
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के दौरान भी बड़ी संख्या में लोगों में वॉर एंग्जायटी जैसे मानसिक स्वास्थ्य संकट देखे गए थे। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा किए गए एक सर्वे में यह सामने आया कि लगभग 80% प्रतिभागियों ने माना कि युद्ध से जुड़ी खबरों और वीडियो के कारण उन्हें अत्यधिक तनाव और चिंता का सामना करना पड़ा।
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इसी विषय पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने एक गहन अध्ययन किया, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि युद्ध की सूचनाओं का असर केवल तात्कालिक ही नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक असर डालती रहती हैं।
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