हर साल 1 दिसंबर को World Aids Day मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इससे जुड़े भेदभाव को खत्म करना है। एचआईवी एक खतरनाक वायरस है, जो शरीर में एक बार प्रवेश करने के बाद कई बीमारियों का कारण बनता है।
MP में तेजी से बढ़ रहे Aids के मामले
मध्य प्रदेश में Aids का संक्रमण तेजी से अपने पांव पसार रहा है। जानकारी के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच राज्य में 4 हजार 193 नए एचआईवी पॉजिटिव मरीज सामने आए। इस दौरान 1 हजार 385 संक्रमित मरीजों की मौत भी दर्ज की गई। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के अनुसार, प्रदेश में 67,743 सक्रिय मरीज होने चाहिए, लेकिन केवल 53,101 मरीज ही पंजीकृत हुए हैं। इससे साफ है कि करीब 14,642 मरीज अभी भी संक्रमण की पहचान से बाहर हैं।
राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्थिति में मप्र
मध्यप्रदेश में एडल्ट एचआईवी प्रिवलेंस रेट 0.02% है, जो राष्ट्रीय औसत 0.22% से काफी कम है। हालांकि, उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और नागालैंड में यह दर 2% तक है, जो मप्र की तुलना में 100 गुना अधिक है।
देशभर में एड्स के मरीज
भारत में अनुमानित 24 लाख एचआईवी संक्रमित मरीज हैं। महाराष्ट्र (3.96 लाख), आंध्र प्रदेश (3.14 लाख), कर्नाटक (2.69 लाख), उत्तर प्रदेश (1.61 लाख) और गुजरात (92 हजार) मरीजों के साथ अग्रणी हैं। मध्यप्रदेश में 68 हजार मरीज अनुमानित हैं।
मप्र में एड्स की स्थिति
- एचआईवी प्रिवलेंस रेट: 0.02% (राष्ट्रीय औसत 0.22%)।
- सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र: मालवा-निमाड़ (इंदौर सबसे अग्रणी)।
- लिंग आधारित वितरण: 69% पुरुष और 39% महिलाएं संक्रमित।
इंदौर में कार्यक्रम
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) 1 दिसंबर को इंदौर के डीएवीवी ऑडिटोरियम में एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसमें BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे। Aids के संक्रमण को रोकने के लिए जागरूकता और नियमित उपचार बेहद जरूरी है। प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य संगठनों के प्रयासों को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
2024 की थीम: सही मार्ग अपनाएं – मेरी सेहत, मेरा अधिकार
इस वर्ष की थीम है, सही मार्ग अपनाएं : मेरी सेहत, मेरा अधिकार (Take the Right Path: My Health, My Right)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह थीम तय की है, जो एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के अधिकारों और उनके लिए समानता की आवश्यकता को उजागर करती है। यह संदेश देता है कि हर व्यक्ति को अपनी सेहत से जुड़े अधिकारों का संरक्षण और सम्मान मिलना चाहिए।
विश्व एड्स दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई?
विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1988 में हुई थी। इसका उद्देश्य न केवल इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है, बल्कि एचआईवी संक्रमित लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और समाज में मौजूद कलंक और भेदभाव को समाप्त करना है।
2030 तक एड्स खत्म करने का लक्ष्य
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि यदि मानवाधिकारों की रक्षा की जाए और समुदायों को नेतृत्व प्रदान किया जाए, तो 2030 तक एड्स को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए केवल चिकित्सा उपाय पर्याप्त नहीं हैं। समाज में समानता और सम्मान का माहौल बनाना भी उतना ही जरूरी है।
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