वर्ल्ड कैंसर डे: ओरल कैंसर के मामलों में भोपाल दुनिया में दूसरे नंबर पर

वर्ल्ड कैंसर डे पर भोपाल दुनिया में ओरल कैंसर के मामलों में दूसरे नंबर पर है। यहां तंबाकू सेवन और प्रदूषण इसकी मुख्य वजह हैं। इस पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

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Sandeep Kumar
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4 फरवरी को "वर्ल्ड कैंसर डे" (World Cancer Day) मनाया जाता है, जो कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी के इलाज के लिए वैश्विक प्रयासों को प्रेरित करने के उद्देश्य से है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य कैंसर के बारे में सही जानकारी फैलाना, उपचार के विकल्पों को समझना और कैंसर के मरीजों के लिए समर्थन प्रदान करना है।

विश्व कैंसर दिवस 2025 की थीम

विश्व कैंसर दिवस 2025 की थीम साल 2025 की थीम 'यूनाइटेड बाय यूनीक' रखी गई है। इस थीम को रखने का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि कैंसर सिर्फ इलाज से नहीं बल्कि लोगों के साथ से जीतने वाली एक लड़ाई है, जिसे हमें जड़ से खत्म करना है।

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भोपाल, मध्य प्रदेश, में ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) के मामले में भारत के अन्य शहरों से अलग एक अलग स्थिति रखता है। रिपोर्टों के अनुसार, भोपाल ओरल कैंसर के मामलों में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि मुँह का कैंसर भारतीय उपमहाद्वीप में काफी सामान्य हो चुका है, और इसकी मुख्य वजह तंबाकू, गुटका, और पान मसाला जैसे पदार्थों का सेवन है।

कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक

भोपाल के टॉकीज (Talkies) से लेकर हमीदिया रोड और कबाड़खाना (Kabadkhana) जैसे इलाकों में कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है। यह क्षेत्र प्रदूषण (Pollution) और गैस त्रासदी (Gas Tragedy) के प्रभाव से भी प्रभावित हैं।

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एक लाख पुरुषों में करीब 106 कैंसर मरीज

कैंसर रजिस्ट्री (Cancer Registry) के आंकड़ों के मुताबिक, भोपाल में प्रति एक लाख पुरुषों में करीब 106 कैंसर मरीज हैं। इनमें से 19 प्रतिशत लोग ओरल कैंसर से पीड़ित हैं। यानी हर छठे कैंसर मरीज का संबंध मुँह के कैंसर से है। दिलचस्प बात यह है कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर 35 से 54 साल के युवाओं में देखा जा रहा है। इस उम्र के पुरुषों का हिस्सा 64 प्रतिशत है।

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इन इलाकों में कैंसर

भोपाल के कुछ क्षेत्रों में ओरल कैंसर के मामलों की संख्या ज्यादा है। जैसे शिवाजी नगर (Shivaji Nagar), आनंद नगर (Anand Nagar), और शास्त्री नगर (Shastri Nagar)। इन इलाकों में तंबाकू सेवन (Tobacco Consumption), पान-गुटखा (Paan-Gutkha), और अन्य तंबाकू उत्पादों के उपयोग की दर काफी अधिक है। अशोका गार्डन (Ashoka Garden) भी उन क्षेत्रों में शामिल है जहाँ कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा है। इस क्षेत्र में 14% कैंसर मरीज रहते हैं। प्रदूषण और तंबाकू सेवन यहाँ के मुख्य कारण हैं। वार्ड नंबर 11 (Ward Number 11) में प्रदूषण अधिक है। यहां रहने वाले 90% लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।

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कैंसर के मरीजों की संख्या महिला-पुरुषों के अनुपात

भोपाल में कैंसर के मरीजों की संख्या महिला-पुरुषों के अनुपात में भी है। महिलाओं में 110.1, पुरुषों में 106.7 मरीज प्रति एक लाख पर होते हैं। जबकि बच्चों में 9.4 मरीज प्रति एक लाख हैं।

भोपाल में हर साल 80 हजार नए कैंसर मरीज

डॉ. ओपी सिंह (Dr. OP Singh) के अनुसार, भोपाल में हर साल 80 हजार नए कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं। इन मरीजों को रेडिएशन (Radiation) और कीमोथेरेपी (Chemotherapy) की आवश्यकता होती है। प्रदेश में कैंसर के इलाज के लिए उपकरणों की भारी कमी है। इस स्थिति में अर्ली डिटेक्शन (Early Detection) और स्क्रीनिंग (Screening) की आवश्यकता है। गाँव-गाँव में स्क्रीनिंग करने से कैंसर के मामलों की पहचान समय पर हो सकती है।

भारत में कैंसर के मामलों में इजाफा

भारत में भी कैंसर का जोखिम साल-दर-साल बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। ये बीमारी सभी उम्र और लिंग के लोगों को प्रभावित करती है, यहां तक कि बच्चे भी कैंसर का शिकार हो रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों से कैंसर हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक बन गया है, जिसके मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। यह दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने भारत में कैंसर के मामलों में 12% से 18% की वृद्धि होने का आशंका जताई है। भारत में कैंसर के मामले 2022 में 1.46 मिलियन (14.6 लाख) से बढ़कर 2025 में 1.57 मिलियन (15.7 लाख) होने का खतरा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस गंभीर बीमारी के खतरे को समझते हुए कम उम्र से ही बचाव के उपाय शुरू कर देने चाहिए। दिनचर्या की कुछ गड़बड़ आदतों को कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है। 

FAQ

भोपाल में ओरल कैंसर के बढ़ने के कारण क्या हैं?
भोपाल में तंबाकू, गुटखा, पान मसाला और प्रदूषण जैसे कारण ओरल कैंसर के प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण और गैस त्रासदी के प्रभाव भी इसके बढ़ने में भूमिका निभाते हैं।
ओरल कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?
मुंह में घाव, दर्द, सूजन, और मुँह से खून बहना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इन लक्षणों पर जल्दी ध्यान देना बहुत जरूरी है।
कैंसर का समय पर पता कैसे लगाएं?
नियमित स्क्रीनिंग और अर्ली डिटेक्शन से कैंसर का समय पर इलाज किया जा सकता है। स्क्रीनिंग के जरिए शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता चल सकता है।
भोपाल में कैंसर के इलाज के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं?
भोपाल में कैंसर इलाज की सुविधाएं हैं, लेकिन मशीनों की कमी है। प्रदेश में 60 मशीनों की आवश्यकता है, लेकिन केवल 25 मशीनें हैं।
भोपाल में कैंसर के मामलों को कैसे कम किया जा सकता है
तंबाकू सेवन को रोकने, प्रदूषण को कम करने और जागरूकता फैलाने से कैंसर के मामलों में कमी लाई जा सकती है। अर्ली डिटेक्शन और स्क्रीनिंग से समय पर इलाज संभव है।

 

 

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