प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर को स्वाद की राजधानी कहा है और इंदौर के स्वाद में सबसे बड़ा योगदान यहां के चटपटे पोहे का है। यहां का पोहा न केवल देश बल्कि विदेश में भी मशहूर है। इंदौर के लोग अपने सुबह की शुरुआत पोहे जलेबी के नाश्ते से करते हैं । पोहा की असली दीवानगी का जीता जागता उदाहरण इंदौर शहर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस शहर के कोन-कोने में आपको पोहा मिल जाएगा। इंदौर के लोगों की सुबह पोहा खाकर शुरु होती है और अब सिर्फ इंदौर में ही नहीं पोहा की दीवानगी आपको लगभग देश के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल जाएगी।
कैसे मशहूर हुआ इंदौरी पोहा
आपने भी कभी न कभी तो पोहा जरूर खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लोगों की बीच पोहा इतना मशहूर कैसे हुआ। यह इंदौर की शान कैसे बना और पोहे की शुरुआत किसने की और कब की। शायद नहीं, तो आज हम आपके लिए इन्हीं सवालों के जवाब लेकर आए हैं। तो चलिए जानते हैं पोहा कैसे बना इंदौर की शान।
महाराष्ट्र से इंदौर आया पोहा
रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निजामपुर से पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए। उनकी यहां बुआ रहा करती थीं। उन्हें इंदौर ऐसा भाया कि यहीं के होकर रह गए। पहले गोदरेज कम्पनी में सेल्समैन का काम करने लगे, लेकिन उन्हें कुछ अपना ही करने की चाहत थी। लिहाजा, इन्होंने ही सबसे पहले इंदौरियों को पोहे का जायका चखाया। तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली। इससे पहले इंदौर में पोहा बेचने वाली कोई दुकान नहीं थी। तब 10 से 12 पैसे प्लेट की दर से मिलने वाला पोहा आज 15 रुपए प्लेट पर पहुंच चुका है। एक से शुरू हुई दुकानों की संख्या अब करीब 2600 के पार हो गई हैं। ये वे दुकानें हैं, जहां पूरे दिन पोहा बेचा जाता है।
इंदौर की शान बना पोहा
पोहा हमेशा से इंदौर की शान नहीं रहा है। शुरुआती समय में पोहा का सेवन महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोग ही किया करते थे। यूं कहें कि पोहा केवल महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोगों के किचन तक ही सीमित था। इसके साथ ही पोहे को महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोगों का पारंपरिक व्यंजन माना जाता है। बता दें कि इंदौर में पोहा आजादी के करीब दो साल यानी 1949-50 के बाद आया। हुआ कुछ यू थां कि पुरुषोत्तम जोशी नाम का एक शख्समहाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निज़ामपुर छोड़ रोजगार की उम्मीद में अपनी बुआ के घर इंदौर आ गए। पुरुषोत्तम जोशी को इंदौर शहर इतना भाया कि उन्होनें अपनी कर्म भूमि इंदौर को ही मान लिया था। हालांकि, सबसे पहले उन्होनें गोदरेज कंपनी में सेल्समैनशिप की नौकरी की। लेकिन वह कभी भी नौकरी नहीं करना चाहते थे और चाहते थे कि वह कुछ अपना काम करें। अपना कुछ खुद का काम करने की इच्छा ने उन्हें इंदौर के तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली।
90 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद
इंदौर में पोहा की कोई भी दुकान मौजूद नहीं थी। दुकान का सारा काम उन्होनें खुद संभाला ऐसे में पुरुषोत्तम जोशी को इंदौर में पोहा लाने का श्रेय दिया जाता है। बता दें कि उस जमाने में 10 से 12 पैसे प्लेट पोहा बिकता था। हालांकि,अब इसका रेट बढ़ गया है। इंदौर के लोगों को पोहा इतना पसंद आया की अब बिना पोहा खाए वहां के लोगों की सुबह की शुरुआत नहीं होती है। पहले यहां पोहे के केवल कुछ ही दुकाने थी लेकिन क्योंकि पोहा इंदौर की शान बन चुका है ऐसे में अब यह 2600 से अधिक दुकानें है।
इंदौर में बीजेपी नेताओं ने मनाया पोहा दिवस
देश के पहले प्रधानमंत्री भी उठा चुके हैं पोहा का लुफ्त
यह कहना गलत नहीं होगा कि पोहा हर क्लास के लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि जो एक बार पोहा खा ले वह उसकी तारीफ न करें। आपको बता दें कि देश के पहले प्रधानमंत्री भी पोहा का लुफ्त उठा चुके हैं। यह बात साल 1950 की है जब कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरू इंदौर पहुंचे थे। तब इस अधिवेशन के दौरान नेहरू जी को पोहा परोसा गया था। इंदौर का पोहा खाकर नेहरू जी काफी खुश हुए थे और उन्होनें पोहा की तारीफ भी की थी। इसके अलावा सिर्फ नेहरू जी ही नहीं बॉलीवुड के बिग बी अमिताभ बच्चन को भी पोहा काफी पसंद है। यही नहीं सोनी टीवी के सबसे फेमस शो केबीसी में भी पोहा से संबंधित सवाल पूछा जा चुका है। इसके अलावा क्रिकेटर्स को भी पोहा खाना पसंद है।