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उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार
मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर और अन्य कर्मचारी अपने काम को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ( Inder Singh Parmar ) से सीधे नहीं मिल सकेंगे। इस संबंध विभाग द्वारा सभी प्राचार्यों को सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर में कहा गया है कि,कोई भी प्रोफेसर, अधिकारी या अन्य शासकीय सेवक विभागाध्यक्ष की लिखित अनुमति के बिना मंत्री से संपर्क नहीं करेगा। न ही सीधे पत्र लिखेगा। ऐसा करने पर उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रमोशन- पोस्टिंग के लिए मिलते रहते हैं
विभाग ने कहा है कि सरकारी कॉलेजों में पदस्थ प्रोफेसर व अन्य कर्मचारी अपने प्रमोशन, विभागीय जांच और ट्रांसफर पोस्टिंग आदि के लिए रोज मंत्री से मिलते हैं। ऐसा आचरण शोभनीय नहीं है। सीधे संपर्क न साधें और न पत्र लिखें। बल्कि उचित मार्ग से शासन की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि कार्यलीय प्रमुख को सूचना दिए बिना नहीं आना चाहिए। इससे कॉलेजों के एकेडमिक गतिविधियां प्रभावित होती है। अवकाश के दिनों में लोग आएं। इस दौरान किसी से भी मिलने से परहेज नहीं है।
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समय पर हो काम तो कोई नहीं आएगा
प्रोफेसर्स का कहना है कि यह सर्कुलर स्वागत योग्य है पर विभागीय अधिकारियों के लिए कार्य करने के लिए समय सीमा तय होनी चाहिए। काम समय पर होंगे तो बिना वजह कोई भी किसी भी कार्यालय व मंत्रीजी के पास नहीं आएगा।
वहीं प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के संरक्षक, प्रो. कैलाश त्यागी और प्रांताध्यक्ष डॉ. आनंद शर्मा बोले- सालों से काम पेंडिंग हैं। प्रोफेसर्स को 10 हजार एकेडमिक ग्रेड पे देने का निर्णय हुआ। 3 माह बाद भी आदेश जारी नहीं हुआ।
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