यशवंत क्लब का चुनाव टोनी सचदेवा पर टिका, गुट में ही विरोध, उधर पम्मी छाबड़ा भी चुनाव से दूर

मैनेजिंग कमेटी में सचिव संजय गोरानी व अन्य सदस्यों की स्थिति मजबूत है, लेकिन क्लब में छह बार चेयरमैन पद पर रह चुके टोनी सचदेवा की मंशा फिर जागी है। उन्हें लेकर क्लब में विरोध है, तो वहीं खुद सचदेवा-गोरानी गुट के अंदर भी मतभेद है।

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता, INDORE. राजा-रजवाड़ों का क्लब की पहचान रखने वाले यशवंत क्लब (  Yashwant Club ) की मैनेजिंग कमेटी के दो साल पूरे हो गए हैं। चुनाव 19 जून को घोषित हो चुके हैं, लेकिन जिस हाईप्रोफाइल चुनाव की आहट हर साल में जनवरी माह में शुरू हो जाती थी, वह आधा मई गुजर जाने के बाद भी शांत है। इसकी वजह है कि सत्ताधारी कमेटी ही मजबूत है और विपक्ष जिसमें अहम भूमिका पूर्व चैयरमैन पम्मी छाबड़ा की रहती है, वह अभी सीधे तौर से चुनाव से दूर है। 

चुनाव होंगे या नहीं सचदेवा पर इस तरह से टिकी बात

दरअसल मैनेजिंग कमेटी में सचिव संजय गोरानी व अन्य सदस्यों की स्थिति मजबूत है। लेकिन क्लब में छह बार चेयरमैन पद पर रह चुके टोनी सचदेवा की मंशा फिर जागी है। लेकिन उन्हें लेकर क्लब में विरोध है तो वहीं खुद सचदेवा-गोरानी गुट के अंदर भी मतभेद है। गुट चाहत है कि सचदेवा अब पद छोड़ दें और संतोष वागले के लिए जगह बन जाए। यदि सचेदवा जिद पर अड़े रहते हैं तो गुट में फूट हो सकती है और ऐसे में इसके विरोध में विपक्षी पैनल बन सकता है। ऐसे में पूरा चुनाव अब सचदेवा पर टिक गया है। 

पम्मी क्यों चुप है? विपक्ष का क्या होगा

हर चुनाव में अपनी पैनल उतारने वाले पम्मी छाबड़ा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन लगभग यह तय है कि वह चुनाव में खुद नहीं उतरेंगे। अभी तक वह चेयरमैन पद के लिए उतरते रहे हैं। लेकिन बीते चुनाव में हार के बाद वह खुद इस बार मैदान से दूर रहना चाहते हैं। उनकी पैनल की सबसे बड़ी कमजोरी सचिव पद के लिए सही प्रत्याशी नहीं मिलना। क्लब में सचिव प्रत्याशी मजबूत चाहिए होता है, तभी चेयरमैन और सचिव की जोड़ी को सदस्य वोट करते हैं। इस गुट से एन. कुकरेजा चेयरमैन के लिए तैयार है, अजय बागड़िया का भी नाम विचार में हैं, लेकिन कमी सचिव प्रत्याशी की है और पूरे नौ प्रत्याशियों की पैनल नहीं बन रही है। ऐसे में यह गुट इस बात का इंतजार कर है कि टोनी सचदेवा-गोरानी गुट में क्या अंदरूनी खटपट होती है और कोई छिटक कर बाहर आता है तो फिर पैनल तैयार किया जाएगा। लेकिन अभी वह इंतजार की भूमिका में ही है चुनवा लड़ने की नहीं।

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इन दो पद के लिए भी दूसरे प्रत्याशी लगेंगे

वहीं पम्मी पैनल से जीतकर बीते बार सह सचिव बने अतुल सेठ इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस एक पद के लिए दूसरा प्रत्याशी मैदान में आएगा। वहीं एक कार्यकारिणी सदस्य रूपल पारिख भी लगातार दो बार पद पर रह चुके, इसलिए वह अब क्लब संविधान के तहत चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उनकी जगह भी दूसरा प्रत्याशी आएगा। बाकी 6 पदों पर कोई विवाद नहीं है। यानि चेयरमैन पद, सहसचिव पद और एक कार्यकारिणी सदस्य इन्हें लेकर ही अभी स्थिति असमंजस में हैं। 

अभी यह है क्लब की मैनेजिंग कमेटी

  • चेयरमैन- टोनी सचदेवा, सचिव- संजय गोरानी, सह सचिव- अतुल सेठ, कोषाध्यक्ष- आदित्य उपाध्याय
  • पांच कार्यकारिणी सदस्य- अनिमेष सोनी, नितेश दाणी, रूपल पारिख, संदीप जैन, विपिन कूलवाल

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