नशे का शिकार बन रहे युवा, दवा कंपनी और ड्रग इंस्पेक्टर पर सांठगांठ का आरोप, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

केंद्र सरकार के प्रतिबंध के बाद भी ऐसे कफ सिरप बाजारों में मिल रहे हैं, जिसमें शामिल अफीम युवाओं के लिए आसान नशे का जरिया बन चुका है। अब मामला सुनवाई के लिए हाईकोर्ट पहुंच चुका है।

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Neel Tiwari
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अफीम एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है। फिर भी इसकी कुछ मात्रा का उपयोग दवाओं के निर्माण के लिए स्वीकृत है। लेकिन कुछ दवाओं में अफीम मानक मात्रा से अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के यह दवाएं बाजार में आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। हाल ही में रीवा से ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें लाखों रुपए के कफ सिरप जब्त कर आरोपियों पर NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई भी की गई। ऐसी कार्यवाही से दवा कंपनियां हमेशा अछूती रह जाती हैं। अब एक जनहित याचिका से यह मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए दायर किया गया है।

हाईकोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका 

युवाओं को इस नशे से बचाने के लिए अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें केंद्र सरकार के प्रतिबंध लगाने के बाद भी कुछ कंपोजिशन से बनी दवाएं बाजार में बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के आसानी से मिलने के मुद्दे को उठाया गया है। इन दवाओं के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले मिश्रण में अफीम की मात्रा युवाओं में मादक पदार्थ के रूप में नशे के तौर पर उपयोग की जा रही है। उन्होंने बताया कि याचिका किसी आदेश के विरुद्ध दायर नहीं की जा रही है बल्कि इसका उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का सख्त,सार्थक और नियमित रूप से निगरानी वाला अनुपालन सुनिश्चित करना है।

ड्रग कंट्रोलर और कंपनियों की सांठगांठ

बीते दिनों रीवा जिले में लगभग 2 लाख रुपए के कफ सिरप पकड़े गए थे जो एक ही दवा विक्रेता से खरीद कर अवैध रूप से बेचने के लिए ले जाए जा रहे थे। ड्रग कंट्रोलर के दायित्व में यह भी एक मुख्य हिस्सा होता है कि वह समय-समय पर दवाई विक्रेताओं सहित मेडिकल स्टोर्स की जांच करे ताकि उनके स्टॉक रजिस्टर से यह भी पता लगाया जा सके कि वह कौन-कौनसी ऐसी दवाइयां अधिक मात्रा में खरीद रहे हैं जिनके लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई दवा विक्रेता पूरे माह में 10 लाख रुपए का माल कंपनी से खरीदना है और उसमें 8 लाख रुपए की इस तरह की प्रतिबंधित दवाई होती है। तो यह विक्रेता तुरंत ड्रग कंट्रोलर के रडार पर आ जाना चाहिए। लेकिन यदि इस पर ड्रग कंट्रोलर के द्वारा कार्रवाई की गई तो दवा निर्माता कंपनी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आरोप है कि ड्रग कंट्रोलर के साथ निर्माता कंपनियां सांठगांठ करती हैं और उसका यह नतीजा है कि बड़ी मात्रा में इस तरह की दवाइयां बाजार में आसानी से उपलब्ध होती हैं। इन दवाइयों को एमआरपी से भी अधिक दाम पर बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बेचा जाता है।

प्रतिबंधित हैं कुछ कंपोजिशन से बनी दवाओं की बिक्री

दरअसल, औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 की धारा 26 ए के तहत दिनांक 2 जून 2023 की अधिसूचना द्वारा क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और कोडीन सिरप की दवा की निश्चित खुराक समायोजन मानव उपयोग के लिए निर्माण बिक्री और वितरण पर केंद्र सरकार के द्वारा रोक लगाई गई थी। इसके अलावा अपनी जारी अधिसुचना में कुछ और भी कंपोजिशन से तैयार दवाओं की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

एनडीपीएस के नियमों का उल्लंघन

एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 (xi) निर्मित औषधीय को परिभाषित करती है जिसमें अफीम से उत्पन्न होने वाली दवाइयां शामिल है। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2( xvi) अफीम व्युत्पन्न को परिभाषित करती है परिभाषा खंड 2(xvi)(c) के अनुसार कोडीन भी अफीम व्युत्पन्न है। एनडीपीएस अधिनियम का उल्लंघन करते हुए कोडीन जैसी निर्मित दवाओं का निर्माण कब्जा और बिक्री करना कठोर दंड के साथ दंडनीय है।

हाईकोर्ट से जारी हुए नोटिस 

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में 23 सितंबर को इस मामले को सुनवाई के लिए दाखिल कर लिया गया है और मामले में संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह मे अपनी जवाबी रिपोर्ट को पेश करने का आदेश दिया गया है।इस मामले में अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।

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