नर्मदा के सामने फिर दंडवत हुई मप्र की सियासत, कांग्रेस ने बनाई नर्मदा सेवा सेना, 16 जिलों की 66 सीटों का भविष्य तय करती हैं नर्मदा

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Arun Dixit
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नर्मदा के सामने फिर दंडवत हुई मप्र की सियासत, कांग्रेस ने बनाई नर्मदा सेवा सेना, 16 जिलों की 66 सीटों का भविष्य तय करती हैं नर्मदा

BHOPAL. मध्यप्रदेश में मां नर्मदा सिर्फ जीवनदायिनी ही नहीं बल्कि, सिंहासन दायिनी भी है। चुनाव के नजदीक आते ही एक बार फिर सूबे की सियासत मां नर्मदा के सामने दंडवत हो गई है। कांग्रेस ने नर्मदा सेवा सेना का गठन कर सियासी फायदा उठाने की तरफ पहला कदम बढ़ा दिया है। वैसे तो इसे गैर राजनीतिक संगठन कहा जा रहा है, लेकिन इसमें राजनीतिक मकसद छिपा हुआ साफ नजर आता है। नर्मदा का सीधा असर 16 जिलों की 66 विधानसभा सीटों पर है। यानी इन सीटों पर हार-जीत का फैसला मां नर्मदा ही करती हैं। यही कारण है कि 2018 के चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली थी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पैदल परिक्रमा की थी। इसका असर 2018 के चुनाव परिणामों पर भी नजर आया। एक बार फिर सियासी दल मां नर्मदा के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने जुगत लगा रहे हैं। 



मां नर्मदा ने कैसे दिलाई सत्ता 



वैसे तो मां नर्मदा का प्रदेश की सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असर है, लेकिन जिन 16 जिलों की 66 सीटों पर नर्मदा का सीधा असर है वहां पर बीजेपी और कांग्रेस लगभग बराबर हैं। इन 66 सीटों में कांग्रेस के पास 31 और बीजेपी के पास 34 सीटें हैं। एक सीट पर निर्दलीय विधायक है, लेकिन 2013 में कांग्रेस की ये स्थिति नहीं थी। बीजेपी यहां पर कांग्रेस से करीब तीन गुना सीटों पर थी। 2013 में इन 66 सीटों में बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस के हाथ महज 17 सीटें ही आ पाई थी। माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पैदल नर्मदा परिक्रमा ने पूरा माहौल बदल दिया और नर्मदा की कृपा कांग्रेस पर हो गई। इन सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी से 14 सीटें झटक लीं और वो 17 से 31 पर पहुंच गई और बीजेपी को 49 सीट से 34 सीटों पर ला दिया। यही कारण है कि 2018 में कांग्रेस का 15 साल का वनवास खत्म हुआ और उसे दोबारा सत्ता नसीब हो पाई। 



नर्मदा के असर वाली सीटों पर स्थितिः 16 जिले, 66 विधानसभा सीट

साल 2013 :  बीजेपी- 49

                    कांग्रेस- 17

साल 2018 :  बीजेपी- 34

                    कांग्रेस- 31



इन जिलों की सीटों के नतीजे तय करती है नर्मदा  

साल 2018...




  • अनूपपुर- 3 सीट  2 कांग्रेस,1 बीजेपी 


  • डिंडौरी-  2 सीट  2 कांग्रेस, 0 बीजेपी

  • मंडला-   3 सीट   2 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • सिवनी-   4 सीट   2 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • जबलपुर- 8 सीट  4 कांग्रेस, 4 बीजेपी 

  • नरसिंहपुर- 4 सीट 3 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • हरदा- 2 सीट        0 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • नर्मदापुरम- 4 सीट 0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • खंडवा- 4 सीट      0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • खरगोन- 6 सीट     5 कांग्रेस, 0 बीजेपी, 1 निर्दलीय

  • बड़वानी- 4 सीट    3 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • धार- 7 सीट           5 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • देवास- 5 सीट       1 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • सीहोर- 4 सीट       0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • रायसेन- 4 सीट     1 कांग्रेस, 3 बीजेपी

  • आलीराजपुर- 2 सीट 1 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • कुल सीट : 66, कांग्रेस- 31, बीजेपी- 34, निर्दलीय- 1



  • साल 2013... 




    • अनूपपुर- 3 सीट      2 कांग्रेस,1 बीजेपी 


  • डिंडौरी-   2 सीट      1 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • मंडला-    3 सीट      1 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • सिवनी-    4 सीट       2 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • जबलपुर-  8 सीट      2 कांग्रेस, 6 बीजेपी 

  • नरसिंहपुर- 4 सीट    0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • हरदा- 2 सीट           1 कांग्रेस, 1 बीजेपी

  • नर्मदापुरम- 4 सीट    0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • खंडवा- 4 सीट          0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • खरगोन- 6 सीट       3 कांग्रेस, 3 बीजेपी 

  • बड़वानी- 4 सीट      2 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • धार- 7 सीट            2 कांग्रेस, 5 बीजेपी

  • देवास- 5 सीट         0 कांग्रेस, 5 बीजेपी

  • सीहोर- 4 सीट        1 कांग्रेस, 3 बीजेपी

  • रायसेन- 4 सीट       0 कांग्रेस, 4 बीजेपी

  • अलीराजपुर- 2 सीट 0 कांग्रेस, 2 बीजेपी

  • कुल सीट : 66, कांग्रेस- 17, बीजेपी- 49



  • कांग्रेस ने बनाई नर्मदा सेवा सेना



    मौके की नजाकत और जरूरत को समझते हुए कांग्रेस ने अपना दांव चल दिया है। कांग्रेस ने नर्मदा सेवा सेना का गठन किया है। सीधे तौर पर तो इस सेना का काम नर्मदा संरक्षण का है, लेकिन कांग्रेस की सोच बहुत दूर की है। ये सेना नर्मदा का संरक्षण के लिए काम करेगी और नर्मदा से जुड़े सभी 16 जिलों में अपना विस्तार करेगी। इस सेना से ऐसे लोगों को जोड़ा जाएगा जो नर्मदा के संरक्षण का काम कर रहे हैं। नर्मदा सेवा सेना नर्मदा घाटों पर धार्मिक आयोजन करेगी जिसमें समाज को जोड़ा जाएगा। नर्मदा सेवा सेना इन 16 जिलों की सभी 66 सीटों पर सेवा यात्रा निकालने की तैयारी भी कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस सेना से जुड़ने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी आमंत्रित किया है। सेना के प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि नर्मदा संरक्षण के लिए लोगों को जोड़ना, जनता को जागरूक करना और किनारों पर पौघे लगाने का काम ये सेना करेगी। 



    शिवराज और दिग्विजय कर चुकें हैं नर्मदा यात्रा



    पिछले चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नर्मदा यात्रा की थी। दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता सिंह ने 143 दिनों की पैदल नर्मदा यात्रा की थी। दिग्विजय सिंह पूरे छह महीने छुट्टी पर रहे। इस दौरान वे किसी भी राजनीतिक कार्यक्रमों और बयानों से भी दूर रहे। दिग्विजय सिंह की इस यात्रा की तारीफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी की। दिग्विजय की इस यात्रा का लोगों पर बहुत असर पड़ा। ऐसा माना गया कि मां नर्मदा ने कांग्रेस को सत्ता दिलवा दी। इससे पहले मुख्यमंत्री नर्मदा सेवा यात्रा पर निकले। ये सेवा यात्रा 2016 में शुरू हुई और 2017 में खत्म हुई। इस 148 दिनों की यात्रा में सीएम ने नर्मदा संरक्षण को लेकर कई घोषणाएं की, लेकिन वे कम ही मूर्त रूप लेती नजर आईं। नर्मदा से रेत निकालने का सिलसिला रुका और न ही नर्मदा में गंदे नालों का मिलना रुक पाया। नर्मदा की हालत समय के साथ खराब होती जा रही है। इतना ही नहीं नर्मदा किनारे पौधे लगाने की योजना में भी करोड़ों का घोटाला हो गया। नर्मदा सेवा सेना के समन्वयक विक्रम मस्ताल कहते हैं कि कांग्रेस की नर्मदा सेवा सेना इन सभी मुद्दों को लेकर भी जनता के बीच जाएगी। 



    बीजेपी ने बताई सियासी नौटंकी



    बीजेपी ने कांग्रेस के इस कार्यक्रम को सियासी नौटंकी बताया है। बीजेपी कहती है कि कांग्रेस को चुनाव के समय ही धर्म याद आता है। इस तरह के कार्यक्रम सिर्फ सियासी कार्यक्रम ही होते हैं। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में ही जमकर अवैध उत्खनन हुआ था। बीजेपी के प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि चुनाव के समय याद आई नर्मदा का कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिलने वाला। 



    चुनावी घोषणापत्र में फिर नजर आएगी नर्मदा



    मां नर्मदा को प्रदेश की लाइफ लाइन कहा जाता है। मां नर्मदा अनूपपुर जिले के अमरकंटक से निकलकर खंबात की खाड़ी तक जाती हैं। प्रदेश के 16 जिलों के 51 ब्लॉक, 600 गांव और 1107 घाटों से होती हुई 1077 किलोमीटर रास्ता तय करती हैं। नर्मदा के किनारे 290 मंदिर, 161 धर्मशालाएं और 263 आश्रम हैं। प्रदेश में नर्मदा का असर बड़े पैमाने पर है। हिंदू समाज इसे नदी नहीं बल्कि मां मानता है। यही कारण है कि नर्मदा की बात करने वालों को सियासी नफा जरुर हो जाता है। इस बार भी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के संकल्प पत्र और कांग्रेस के वचन पत्र में नर्मदा संरक्षण को कोर एजेंडे में शामिल किया जा रहा है। खासतौर पर कांग्रेस के वचनों में गाय,धर्म, मंदिर और नर्मदा को विशेष तौर पर शामिल कर बीजेपी के प्रमुख मुद्दों को अपना बनाने की कोशिश की है। 


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