महासमुंद में बहिष्कार को ठेंगा, बेटियों के कंधे पर बाबुल हुए विदा, मूक बने रहे ग्रामीण

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Shivam Dubey
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महासमुंद में बहिष्कार को ठेंगा, बेटियों के कंधे पर बाबुल हुए विदा, मूक बने रहे ग्रामीण


नितिन मिश्रा, MAHADAMUND. महासमुंद जिले के सालडबरी गांव में मानवता शर्मसार हुई है। यहां मृतक को कांधा देने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। तो दो बेटियों ने ही अपने पिता की अर्थी को कांधा दिया है। परिवार को कुछ महीने पहले गांव से बहिष्कृत कर दिया गया था। 25 जुलाई को पिता की अचानक मौत हो गई।   जिसके बाद मृतक की बेटे, बेटियों और दामाद ने मिलकर मृतक पिता का अंतिम संस्कार किया है। अंतिम यात्रा में शामिल होने के बजाय पूरा गांव मूक दर्शक बने खड़ा रहा। कोई भी व्यक्ति मानवता के लिए आगे नहीं आया। 




क्या मामला है



मिली जानकारी के अनुसार हिरन साहू अपने परिवार के साथ सालडबरी गांव में रहता था। हिरन साहू के परिवार में एक बेटा, और बेटियां हैं। दोनो बेटियों का विवाह हो चुका है। हिरन साहू गांव का पटेल भी था। करीब 6– 7 महीने पहले गांव में दो पक्षों के बीच मार पीट हो रही थी। तब मृतक हिरन साहू की पत्नी वीणा बाई साहू ने बीच बचाव कर दोनों को समझौता करवाया । विवादित पक्ष में से एक पक्ष ने वीणा बाई पर मारपीट का झूठा आरोप लगा दिया। इस मसले को लेकर गांव में दूसरे दिन ही बैठक बुलाई गई। बैठक में फैसले बिना बाई साहू के साथ मारपीट कर उसे गांव से बहिष्कृत कर दिया गया। तब से परिवार गांव से बहिष्कृत है। इसी बीच हिरन साहू का मौत हो गयी। 

 

बेटियों के कंधे पर बाबुल की विदाई



25 जुलाई की पिता की अचानक मौत से नाबालिग पुत्र घबरा गया। बेटे ने गांव में अपने रिश्तेदारों और अन्य ग्रामीणों को पिता की मौत की सूचना दी। लेकिन किसी की कोई मदद नहीं मिली। बेटे ने पिता के मौत की खबर अपनी दोनों विवाहित बहनों तक पहुंचाई। खबर मिलते ही दोनों बहनें और  एक दामाद हिरन के घर पहुंच गए।  

मौत के बाद मृतक के बेटे बेटियों  ने गांव में यह प्रयास किया कि कोई कंधा उनके पिता को मिल जाये तो उनका ससम्मान अंतिम संस्कार हो सकेगा। लेकिन गांव के एक भी व्यक्ति मदद के लिए आगे नहीं आया। किसी के द्वारा मदद नहीं मिलने पर मृतक की दोनों विवाहित बेटियों यामिनी साहू पति भागवत साहू  और कविता साहू पति प्रेमलाल के अलावा एक दामाद और पुत्र तामेश्वर साहू ने पिता को कांधा देकर उनका अंतिम संस्कार किया।


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