संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में एक के बाद हो रही हत्या, नशोखोरी के केस को देखते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी और पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर को पत्र लिखा है। इसमें बढ़ते अपराधों को लेकर चिंता जताने के साथ ही नाइट कल्चर को लेकर फिर सवाल खड़े किए हैं और इसे लेकर आपत्ति जताई है। साथ ही बढ़ते अपराध रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों और अन्य के साथ सामूहिक बैठक कर कार्ययोजना बनाने के लिए कहा है। लेकिन इस पत्र के साथ ही उन्हीं की बीजेपी सरकार घिर गई है, कांग्रेस ने एक दिन पहले ही यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि इंदौर अब अपराधों में नंबर वन बन गया है। महापौर के पत्र से बीजेपी सरकार के साथ ही पुलिस और प्रशासन भी घिर गया है।
यह लिखा है पत्र में
महापौर ने पत्र में लिखा है किदेवी माता अहिल्या की पावन नगरी इंदौर शहर की संस्कृति और पहचान है। नाइट कल्चर के नाम पर शहर में रात को खुले बाजार ने सांस्कृतिक शहर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का काम किया है। इसके प्रभाव ने सांस्कृतिक अतिक्रमण कर अपराध और अपसंस्कृति को बढ़ावा दिया है। इससे आए दिन नए अपराध, दुर्घटना और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं की जानकारी आप और हम जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में आ रही है। इसलिए शहर हित में नाइट कल्चर के नाम पर रात्रिकालीन बाजारों की व्यवस्था पर पुनर्विचार की आवश्यकता को देखते हुए लोकतांत्रिक तरीके से शहर के जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों, पुलिस प्रशासन की संयुक्त बैठक आहूत कराएं, जिससे की इस व्यवस्था के संबंध में उचित निर्णय लिया जा सके और कार्ययोजना बनाई जा सके।
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विजयवर्गीय के साथ कई जनप्रतिनिधि विरोध में लेकिन कुछ नहीं हुआ
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खुलकर इस नाइट कल्चर के विरोध में हैं और मंच से ही वह सीएम से भी इस कल्चर और नशाखोरी पर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। बीजेपी की कोर कमेटी भी इसे लेकर बैठक कर चुकी है, जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा तो एक दौरे में यह बोल चुके थे कि 24 घंटे में इस पर फैसला लिया जाएगा। वह महीनों में नहीं हुआ। बीजेपी नेताओं की मांग के बाद भी नाइट कल्चर जारी है।
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प्रशासन के एक आदेश से हुआ था नाइट कल्चर लागू
यह नाइट कल्चर प्रवासी दिवस और ग्लोबल समिट से पहले शहर में निवेशकों को मेट्रो कल्चर दिखाने के उद्देश्य से कि यहां भी 24 घंटे काम होता है, यह प्रस्ताव जिला प्रशासन द्वारा मान्य कर आदेश जारी किया गया था। लेकिन अच्छी मंशा से शुरू हुए इस प्रस्ताव का उपयोग आमजन से ज्यादा नशाखोरों ने किया और जमकर रात में क्राइम बढ़ा है। पुलिस ने जब-जब आवाज उठी गश्त बढ़ाई और रात को कुछ एक्शन कर, कुछ दिन बाद शांति रख ली। हाल ही में सीएम ने भी इंदौर के लॉ एंड आर्डर पर बैठक की और शराबखोरों पर कार्रवाई की बात कही, फिर क्या था सात दिन तक रोज शराबखोरी के सौ-सौ केस ठोक दिए गए और सात दिन बाद फिर वही 'ढाक के तीन पात' और पुलिस चुप बैठ गई। इधर, इंदौर में लगातार अपराधी सड़कों पर हथियार लेकर घूम रहे हैं और किसी को चाकू मार रहे हैं तो कोई बंदूक से फायर कर रहा है। बीते आठ माह में 34 हत्याएं हुई हैं। इन सभी के चलते पुलिस कमिशनरी और नाइट कल्चर दोनों ही निशाने पर आ गए हैं।