राजस्थान में मेहरानगढ़ हादसे के 15 साल बाद सरकार अब लाई मेलों के प्रबंधन का बिल, हादसे में मारे गए थे 216 लोग

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BP Shrivastava
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राजस्थान में मेहरानगढ़ हादसे के 15 साल बाद सरकार अब लाई मेलों के प्रबंधन का बिल, हादसे में मारे गए थे 216 लोग

JAIPUR. जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में अक्टूबर 2008 में शारदीय नवरात्र के दौरान हुई भगदड़ के हादसे के 15 साल बाद अब राजस्थान सरकार मेलों के प्रबंधन के विषय में कानून लेकर आई है। इस कानून पर राजस्थान विधानसभा में बुधवार (19 जुलाई) चर्चा हो रही है। राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण विधेयक 2023 नाम के इस कानून को लाने के उद्देश्यों और कारणों के स्टेटमेंट में जोधपुर की इस दुखंतिका का ही उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह कानून लाया गया है।





यह हैं कानून के प्रमुख प्रावधान







  • कानून के तहत एक राज्यस्तरीय मेला प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। पर्यटन मंत्री इसके अध्यक्ष होंगे और किसी गैर सरकारी व्यक्ति को इसका उपाध्यक्ष बनाया जाएगा। प्राधिकरण में मेलेों के आयोजन से जुड़े सभी सरकारी विभागों के सचिवों सहित 25 सदस्य होंगे। यह प्राधिकरण मेलों के आयोजन के सम्बन्ध में उचित नियम आदि बना सकेगी।



  • जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला मेला समितियां गठित की जाएंगी। इस समिति की मॉनिटरिंग में ही मेले आयोजित किए जाएंगे।


  • बिना अनुमति के मेलों का आयेाजन नहीं किया जाएगा।


  • आयोजक को सुरक्षा, पार्किंग, अग्निशमन आदि की पूरी व्यवस्था करनी होगी।


  • बिना अनुमति मेले आयोजित करने पर एक वर्ष तक की सजा हो सकेगी।


  • लापरवाही के कारण कोई जनहानि होती है तो आयोजक को दो साल तक की सजा हो सकती है।






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    216 लोग मारे गए थे मेहरानगढ़ हादसे में





    जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले में चामुण्डा माता का मंदिर है। यहां शारदीय नवरात्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं। अक्टूबर 2008 में भी तड़के यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर खुलने का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान यहां भगदड़ मची और इस भगदड़ में 216 लोगों की जान चली गई। यह हादसा आज भी जोधपुर ही नहीं पूरे प्रदेश के लोगों के दिलोदिमाग में सिरहन पैदा कर देता है।





    आज तक सार्वजनिक नहीं हुई रिपोर्ट





    इस हादसे की जांच के लिए हाईकोर्ट के न्यायाधीश जसराज चौपड़ा की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया। इस आयोग ने ढाई साल बाद 11 मई 2011 को 860 पेज की एक रिपोर्ट सरकार को दी थी, लेकिन यह रिपोर्ट आज 12 साल बाद भी सार्वजनिक नहीं हो पाई है। ऐसे में आज तक इतने बड़े हादसे के दोाषियों के खिलाफ आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं। रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग को लेकर पीड़ित परिवारों का संगठन कोर्ट में भी गया, लेकिन अभी तक मामला चल ही रहा है। बताया जा रहा है कि सरकार को डर है कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। कोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करना जरूरी नहीं है।





    खाटूश्याम जी मंदिर में पिछले वर्ष ही हुआ ऐसा हादसा





    भगदड़ का ही एक और हादसा पिछले वर्ष सीकर के प्रसिद्ध खाटूश्यामजी मंदिर में भी हुआ था। यहां भी सुबह के समय मंदिर के पट खुलने के समय भगदड़ मची और तीन महिलाओं की मौत हो गई तथा कई लोग घायल हो गए। इस हादसे के बाद सरकार को एक बार फिर मेहरानगढ़ हादसे की याद आई थी और सीएम अशोक गहलोत ने हादसे के  पीड़ितों के हाल जानने के लिए एक मुख्य सचिव को एक समिति गठित करने को कहा था। जिला कलेक्टर ने एक समिति बनाई भी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।





    राजस्थान में होते हैं कई लक्खी मेले





    राजस्थान में वर्षभर कई धार्मिक स्थलों पर लक्खी मेले होते हैं, जिनमें हजारों-लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इनमें खाटूश्यामजी, कैलादेवी, श्रीमहावीरजी, रामदेवरा आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा खुद पर्यटन विभाग की ओर पुष्कर, जैसलमेर, उदयपुर सहित विभिन्न स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है।



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