वसुंधरा खेमे के देवी सिंह भाटी की वापसी से आखिर क्या संदेश देना चाह रही है बीजेपी

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The Sootr
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वसुंधरा खेमे के देवी सिंह भाटी की वापसी से आखिर क्या संदेश देना चाह रही है बीजेपी

JAIPUR. बीकानेर के दिग्गज नेता रहे देवी सिंह भाटी आखिर बीजेपी में वापस लौट आए हैं। आज से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है इसलिए गुरुवार रात दस बजे एक कार्यक्रम कर देवी सिंह भाटी की पार्टी में वापसी कराई गई। देवी सिंह भाटी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थकों में गिने जाते हैं और पार्टी में उनकी वापसी के बाद अब चर्चा यही है कि राज्य के समर्थक नेता को पार्टी में वापस लाकर आखिर पार्टी क्या संदेश देना चाह रही है?

भाटी ने 2019 के नाराज होकर छोड़ी थी पार्टी

देवी सिंह भाटी बीकानेर में बीजेपी के आधार स्तंभों में रहे हैं, वे कोलायत से सात बार विधायक रहे हैं। देवी सिंह भाटी ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल को प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने खुलकर मेघवाल के खिलाफ प्रचार भी किया था। पार्टी में उनकी वापसी के लंबे समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन इसमें सबसे बड़ी रुकावट अर्जुन राम मेघवाल ही बने हुए थे। अर्जुन राम मेघवाल की पार्टी ने नए लोगों की कमेटी में ज्वॉइनिंग की है। यह कमेटी यह देखती है कि किसे पार्टी में लेना है और किसे नहीं लेना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि देवी सिंह भाटी की वापसी पर मेघवाल अभी भी पूरी तरह से राजी नहीं है और यह वापसी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद ही हुई है। अहम बात यह है कि मेघवाल, भाटी की वापसी के कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे।

भाटी की वापसी- एक राजनीतिक संदेश

देवी सिंह भाटी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों में गिने जाते हैं और वह लंबे समय से वसुंधरा राजे को पार्टी की कमान दिए जाने की वकालत करते रहे हैं। ऐसे में उनके समर्थक नेता की पार्टी में वापसी को एक राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके जरिए पार्टी ने कहीं ना कहीं यह संदेश देने की कोशिश की है की वसुंधरा राजे को पार्टी ने पूरी तरह से साइड लाइन नहीं किया है। इसके साथ ही पार्टी ने यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि किसी एक नेता की पसंद या ना पसंद का पार्टी के आगे कोई महत्व नहीं है। यदि कोई नेता पार्टी के लिए उपयोगी लगता है तो पार्टी उसे वापस लाने में हिचकेगी नहीं। इस पार्टी को एक डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज के रूप में भी देखा जा रहा है। देवी सिंह भाटी को यदि पार्टी में वापस नहीं लिया जाता है तो वह बीकानेर में कुछ सीटों पर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते थे। चूंकि, इस चुनाव में एक-एक सीट अहम है इसलिए पार्टी ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।

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