MP के 12 लाख सरकारी कर्मचारियों-पेंशनरों को अभी नहीं मिलेगा महंगाई भत्ता

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Pratibha Rana
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MP के 12 लाख सरकारी कर्मचारियों-पेंशनरों को अभी नहीं मिलेगा महंगाई भत्ता

BHOPAL. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बुरी खबर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव फिलहार बढ़ा हुआ 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के मूड में नहीं है। 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता नहीं मिलने की वजह से मध्यप्रदेश के 12 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स को भारी नुकसान होगा। 12 लाख कर्मचारी महंगाई और राहत भत्ता नहीं मिलने से नाराज हैं। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि समय पर महंगाई भत्ता (MP Employee DA News) नहीं मिलने से अब तक इन्हें करोड़ों का नुकसान हो चुका है।

सीएस के ऑफिस से दो बार लौटी फाइल

जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव से अब तक दो बार महंगाई भत्ते की फाइल चली, लेकिन मुख्य सचिव वीरा राणा के दफ्तर से ही लौटा दी गई। बता दें, विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन शिवराज सरकार ने कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। वोटिंग से चार दिन पहले धनतेरस के दिन 12 नवंबर को राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर तब आयोग ने यह कहकर रोक लगाई थी कि मतदान दिवस 17 नवंबर तक इस निर्णय को स्थगित रखा जाए। इसके बाद सरकार ने चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम तक प्रस्ताव ही नहीं भेजा। बाद में इसे लेकर एक बार फिर फाइल चली फिर मुख्य सचिव के दफ्तर से लौटा दी गई।

केंद्र दे रहा है 46%, एमपी में 42% ही मिल रहा

अभी मप्र के 7.50 लाख कर्मचारियों को 42 प्रतिशत डीए मिल रहा है, जो केंद्रीय कर्मचारियों को मिल रहे 46 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कम है। इसी तरह 4.5 लाख पेंशनरों को जुलाई 2023 से 42 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत दी जा रही है। कर्मचारी 7 महीने से सरकार से केंद्र के समान महंगाई और राहत भत्ता दिये जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनकी ये मांग पूरी नहीं की जा रही है।

महंगाई भत्ता क्या है?

महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) एक तरह का भत्ता है, जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिया जाता है। यह भत्ता महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है। महंगाई भत्ता कर्मचारियों के मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में दिया जाता है। भारत में, महंगाई भत्ता हर छह महीने में एक बार तय किया जाता है। इसे ऑल-इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) के आधार पर तय किया जाता है। AICPI एक सूचकांक है जो देश में खुदरा महंगाई को मापता है।

महंगाई भत्ता की गणना निम्नलिखित सूत्र के आधार पर की जाती है:

DA = (AICPI - AICPI(base year))/100 * 100

जहाँ,

DA = महंगाई भत्ता

AICPI = वर्तमान वर्ष का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स

AICPI(base year) = आधार वर्ष का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स

उदाहरण के लिए, यदि आधार वर्ष का AICPI 100 है और वर्तमान वर्ष का AICPI 120 है, तो महंगाई भत्ता 20% होगा।

महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उन्हें महंगाई के प्रभाव से बचाने में मदद करता है।

महंगाई भत्ता के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  • महंगाई से बचाव: महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई के प्रभाव से बचाने में मदद करता है। जब महंगाई बढ़ती है, तो महंगाई भत्ता भी बढ़ता है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वास्तविक आय बढ़ती है।
  • आय में वृद्धि: महंगाई भत्ता कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आय में वृद्धि करता है। इससे उन्हें अपने जीवन स्तर को बनाए रखने और बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  • खर्च करने की क्षमता में वृद्धि: महंगाई भत्ता कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की खर्च करने की क्षमता में वृद्धि करता है। इससे वे अधिक सामान और सेवाएं खरीद सकते हैं।
  • आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा: महंगाई भत्ता आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है। इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति बढ़ती है, जिससे वे अधिक सामान और सेवाएं खरीदते हैं। इससे व्यवसायों को लाभ होता है और वे अधिक रोजगार पैदा करते हैं।

महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ है। यह उन्हें महंगाई के प्रभाव से बचाने, उनकी आय में वृद्धि करने, उनके खर्च करने की क्षमता में वृद्धि करने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद करता है।


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