BHOPAL. ABVP, RSS और बीजेपी के जरिए मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचे डॉ. मोहन यादव की PhD का टॉपिक शिवराज सरकार की परफॉर्मेंस था। शिवराज सरकार के कामकाज का मीडिया और लोगों से फीडबैक लेकर रिसर्च पेपर तैयार किया गया था। मुख्यमंत्री यादव ने छात्र राजनीति की शुरुआत उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज से की। 1982 में वे इसी साल कॉलेज में सह-सचिव चुने गए। साल 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र संघ अध्यक्ष बने। उन्होंने यहां से BSc की। इसके बाद विक्रम विश्वविद्यालय से LLB, MA (राजनीति विज्ञान), MBA, PhD की।
ऐसे तय हुआ टॉपिक
रिसर्च पेपर तैयार करने के लिए शिवराज सरकार की परफॉर्मेंस पर मीडिया के लोगों से बात की गई। चर्चा में जो कुछ सामने आया, उसी सब्जेक्ट पर काम किया गया। टॉपिक तय होने के बाद मीडिया से पूछे जाने वाले सवाल तैयार कर सर्वे किया गया। शिवराज सरकार के बारे में उस समय जो मीडिया की राय थी, उसे लेकर रिसर्च वर्क पूरा किया।
अशोक गहलोत के गुरु ने किया पास
रिपोर्ट्स के अनुसार सीएम यादव की PhD रजिस्ट्रेशन का इंटरव्यू लेने के लिए जयपुर से प्रो. बीएम शर्मा यहां आए थे। वे अशोक गहलोत के गुरु थे। उन्होंने ही मोहन यादव को पास किया था। बता दें कि मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का नाम चौंकाने वाला रहा था।
बड़े नामों को छोड़कर मोहन यादव को बनाया सीएम
3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे घोषित होने के बाद से ही लगातार इस बात को लेकर सस्पेंस चल रहा था कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री आखिर कौन होगा। इस दौड़ में वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही कहीं वरिष्ठ नेताओं के नाम चल रहे थे, लेकिन सोमवार को भोपाल में मध्यप्रदेश बीजेपी विधायक दल के बैठक के दौरान की गई घोषणा ने अचानक सभी को चौंका दिया। उज्जैन दक्षिण के विधायक और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की गई।