JAIPUR. लम्बे समय से पानी के बंटवारें को लेकर चला आ रहा गतिरोध रविवार की शाम समाप्त हो गया। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) में पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता हो गया। दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा और एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने MOU साइन किया। रविवार शाम को दोनों सरकारों के बीच पार्वती-कालीसिंध-चंबल रिवर लिंक परियोजना पर सहमति बनी। अब चंबल, पार्वती और कालीसिंध नदी को जोड़कर बड़ी आबादी तक पानी पहुंचाने का सपना साकार होगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुल 26 जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
सीएम यादव बोले- इस योजना से एमपी के 13 जिलों को मिलेगा फायदा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा- हमारा चंबल का बेल्ट खेती की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस योजना के सही ढंग से लागू होने से काफी फायदा होगा। खेती के साथ ही औद्योगिक विकास और पर्यटन को भी तेजी मिलेगी। इस योजना में राजस्थान की तरह 13 जिले मध्य प्रदेश के भी आ रहे हैं। इन्हें अब इस योजना का लाभ मिलेगा। सबसे ज्यादा लाभ मालवा और चंबल बेल्ट में मिलने वाला है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने सहमति बनवाई
मोहन यादव ने कहा- राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति भी थी। आज जब मैं जयपुर पहुंचा, तब मेरी भजनलाल शर्मा से भी इस मुद्दे पर बात हुई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। अब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने सहमति बनवाई है।
योजना पूर्वी राजस्थान के लिए वरदान साबित होगी
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- ERCP पिछले लंबे वक्त से लंबित चल रही थी। ऐसे में आज इसका MOU होना हमारे लिए काफी सुखद है। इससे पहले कभी मध्य प्रदेश तो कभी राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इसे उलझाने की काफी कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने इसे मूर्त रूप देकर आगे बढ़ाया है। इस योजना से राजस्थान का काफी बड़ा भूभाग प्रभावित होगा। ऐसे में यह योजना पूर्वी राजस्थान के लिए एक बहुत बड़ा वरदान साबित होगी।
समझौता दोनों राज्यों के लिए स्वर्णिम
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा- आज का समझौता दोनों राज्यों के लिए स्वर्णिम दिन है। इस योजना का काम पूरा हो जाने के बाद दोनों राज्यों की 5 लाख 60 हजार हेक्टेयर नई जमीन सिंचाई के अधीन आएगी। इसके साथ ही अगले 30 से 40 सालों तक पेयजल की समस्या का भी समाधान होगा। इस योजना से न केवल हम बहुत बड़े भूभाग को सूखे से बचाएंगे, बल्कि देश के कई राज्यों को बाढ़ से भी बचाएंगे। इस योजना के लागू होने से राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुल 26 जिलों के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बदलाव भी होगा।
जयपुर में दोनों मुख्यमंत्रियों ने की थी बैठक
इससे पहले दिन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जयपुर पहुंचकर भजनलाल शर्मा के साथ बैठक की थी। मोहन यादव और राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा ने जयपुर में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ERCP पर काम आगे बढ़ाने की बात कही थी। दोनों राज्य पानी के बंटवारे पर विवाद को सुलझाने को राजी हैं। दोनों मुख्यमंत्री साथ में दिल्ली रवाना हो गए थे।
13 जिलों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पानी मिलेगा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि ERCP राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए महत्वपूर्ण परियोजना है। इससे राजस्थान के 13 जिलों में 2.80 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। खेत-खलिहानों के साथ औद्योगिक और वन क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, सालों से चल रही पेयजल की समस्या का समाधान भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईआरसीपी से राजस्थान के 13 जिलों (झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक जिलों) को पानी की समस्या से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी का नदी से नदी जोड़ने का सपना भी साकार होगा।
परियोजना में मध्यप्रदेश में बनेंगे 7 बांध
एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह परियोजना शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास सहित कई जिलों में पेयजल के साथ औद्योगिक जरूरतों को पूरा करेगी। इसके तहत 7 बांध बनाए जाएंगे। इस परियोजना से दोनों ही राज्यों में औद्योगिक निवेश, पर्यटन और शैक्षणिक संस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, सिंचाई क्षेत्र और अधिक समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि पहले जो विवाद था, उस पर ध्यान नहीं दिया। अटल बिहारी वाजपेयी का नदी जोड़ो का सपना था। हम कोई समझौते तक पहुंचे, इसलिए मैं यहां पर आया हूं। इस प्रोजेक्ट से बड़े पैमाने पर पर्यटन की संभावना बनेगी।
एमपी-राजस्थान के बीच क्या था विवाद?
ईआरसीपी के लिए बांध बनाने और पानी के बंटवारे को लेकर मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद हो गया था। राजस्थान सरकार का तर्क था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार ही बांध बना रहे हैं। यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराज का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो तो ऐसे मामलों में राज्य की सहमति जरूरी नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी। राजस्थान सरकार ने खुद के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का फैसला किया। बांध बनने लगा तो मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सरकार बनने के बाद सुलह की कोशिश हुई
राजस्थान में बीजेपी सरकार बनने के बाद से राजस्थान की लाइफ लाइन ERCP परियोजना को लेकर कवायद तेज हो गई थी। पिछले महीने ही ERCP को लेकर दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में अहम मीटिंग हुई थी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में राजस्थान और मध्यप्रदेश के अधिकारी शामिल हुए थे। इस दौरान दोनों राज्यों के बीच ERCP को लेकर सहमति बनी थी।