ओबीसी आरक्षण के लिए आंदोलन की हुंकार, भरतपुर और धौलपुर के जाटों का महापड़ाव, सरकार को दी ये चेतावनी

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Vikram Jain
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ओबीसी आरक्षण के लिए आंदोलन की हुंकार, भरतपुर और धौलपुर के जाटों का महापड़ाव, सरकार को दी ये चेतावनी

JAIPUR. राजस्थान में एक बार फिर से जाट आरक्षण की सुगबुगाह तेज हो गई है। भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों ने केंद्र में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक के पास महापड़ाव शुरू कर दिया है। जाटों ने सरकार को 22 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है। साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर पटरियां उखाड़ने, ट्रेनें रोकने और हाईवे जाम करने की चेतावनी दी है।

धौलपुर और भरतपुर के जाटों को नहीं मिला आरक्षण

राजस्थान में भरतपुर और धौलपुर के जाट बीते 25 साल से केंद्र में ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने राजस्थान में शेखावाटी और अन्य क्षेत्र के जाटों को तो ओबीसी में शामिल कर आरक्षण का लाभ दे दिया था लेकिन धौलपुर और भरतपुर के जाटों को इस आधार पर छोड़ दिया गया था कि यहां के जाटों का संबंध राज परिवार से रहा है। भरतपुर और धौलपुर दोनों ही ऐसे क्षेत्र रहे हैं जहां राज परिवार जाट समुदाय से थे। इसके बाद भी मांग जारी रही तो वर्ष 2013 में दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण दिया भी गया, लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने आरक्षण खत्म कर दिया। अब एक बार फिर भरतपुर और धौलपुर के जाटों ने केंद्र में ओबीसी भी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की हुंकार भर दी है। बुधवार से भरतपुर के जयचोली गांव में जाटों का महापड़ाव शुरू हो गया। आंदोलन स्थल पर पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है।

असल में भरतपुर और धौलपुर की जाटों की आरक्षण की मांग वर्ष 1998 से चली आ रही है। वर्ष 2013 में केंद्र में मनमोहन की सरकार ने भरतपुर और धौलपुर के जाटों सहित अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था, लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेते हुए 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर की जाटों का केंद्र व राज्य में ओबीसी का आरक्षण खत्म कर दिया। उस समय तर्क था कि भरतपुर और धौलपुर के जाट पूर्व राजपरिवार से जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्हे आरक्षण नहीं मिल सकता। बाद में 23 अगस्त 2017 को राज्य सरकार की नौकरियों में दोनों जिलों की जाटों को आरक्षण दे दिया गया।

अभी शांतिपूर्ण महापड़ाव

आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया कि 7 जनवरी को डीग के जनूथर में हुंकार सभा में केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दिया गया था। सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। आज से दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के पास जयचौली में महापड़ाव डाला गया है। दूसरा महापड़ाव बेडम गांव (भरतपुर) और तीसरा रारह (भरतपुर) में होगा।

22 जनवरी तक हम गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे। अगर सरकार ने मांग पूरी नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा- साल 2017 का आंदोलन सरकार देख चुकी है। हमने सरकार को पूरा मौका दिया है कि वो भरतपुर-धौलपुर के युवाओं के बारे में सोचे और फिर निर्णय ले।

भारी पुलिस बल तैनात

उधर आंदोलन को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद हो गया है। मौके पर पुलिस की दो कंपनी तैनात की गई है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। यदि आंदोलन उग्र होता है तो भरतपुर-कोटा-मुंबई रेल मार्ग की ट्रेनों का मार्ग भी बदला जा सकता है।

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