BHOPAL. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस मंदिर के निर्माण में न सिर्फ भारत की बल्कि इसमें अन्य देशों की भी अहम भूमिका रही है। इतना ही नहीं अयोध्या राम मंदिर बनाने में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर की भी अहम भूमिका रही है। यहां के एक दिव्यांग मूर्तिकार अजय अहिरे ने 2005 में हुए राम महोत्सव में अयोध्या पहुंचकर 300 से अधिक कलाकारों को मूर्तिकला का प्रशिक्षण दिया था। जानकारी के मुताबिक उन्होंने यहां पिलर्स पर नक्काशी भी की थी और उसके बाद इन कलाकारों अपने-अपने क्षत्रों में मूर्तियों का निर्माण किया।
300 से अधिक कलाकारों को मूर्ति बनाना सिखाया
अजय अहिरे का कहना है कि आस से 18 साल पहले विश्व हिंदू परिषद की ओर से अयोध्या में राम महोत्सव का आयोजन किया गया था। देशभर से 372 कलाकारों के साथ मुझे भी इस महोत्सव में आमंत्रित किया गया था। उस समय हमने करीब एक महीने वहां रहकर पत्थर के खंभों पर नक्काशी की साथ ही 300 से अधिक कलाकारों को मिट्टी की मूर्तियां बनाना सिखाया।
बचपन से ही मूर्ति कला का शौक
अजय ने बताया कि मैं एक महीने तक अयोध्या में रहा। बाकी सब तो ठीक था, लेकिन खाने की समस्या थी। पूरा खाना सरसों के तेल में बनाया जाता था। मुझे सरसों के तेल से बने खाने की आदत नहीं थी। हालांकि, इसके बाद भी एक महीने तक वहां काम किया। 300 लोगों को कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया। खुद भी मंदिर के लिए पत्थरों पर नक्काशी की। उनका कहना है कि अब तक वे गणेश और मां दुर्गा की हजारों मूर्तियां बना चुके हैं। बचपन से ही मूर्ति कला का शौक था। इसमें निःशक्तता कभी बाधक नहीं बन सकी। कुछ माह पहले ही बुरहानपुर में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा हुई थी। उस कथा का मंच भी मैंने ही तैयार कराया था।
मुझे गर्व है कि राम मंदिर निर्माण में मेरे हाथ लगे
अजय का कहना है कि जिस तरह भगवान राम ने सीता मैया के लिए समुद्र में सेतु बनाया था। उसी तरह मैंने भी छोटा सा पत्थर राम मंदिर में लगाया, इसका मुझे गर्व है कि मेरे हाथ अयोध्या राम मंदिर के निर्माण में लगे। बता दें कि अजय अहिरे ने बुरहानपुर के गणेश स्कूल से 11वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। करीब 30 साल पहले उन्होंने पहली मूर्ति अपने घर के लिए बनाई थी, जो सभी को पसंद आई। यहीं से उनका मूर्ति बनाने का सिलसिला शुरु हुआ। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी इस कला से नाम कमाया और आज देशभर में उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों की खासी डिमांड है।
कला को बनाया रोजगार का जरिया
अहिरे बचपन से ही दिव्यांग हैं। जब वह 5 साल की उम्र के थे, तब उन्हें पोलिया हो गया था। बताया जाता है कि उन्हें डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन लगा दिया गया था। लेकिन उन्होंने नि:शक्तता को कभी अपने काम के आड़े नहीं आने दिया। अजय कहते हैं कि मैं दिव्यांग था, लेकिन कला को जब से पकड़ा, तब से रोजी रोटी का हल निकल आया। कहना चाहता हूं कि दिव्यांग जो होता है, उसके पास दिव्य शक्ति होती है। उसे ऊपर वाला अलग से ताकत देता है। हर क्षेत्र में जो काम करता हूं, सफलता मिलती है।
देशभर में जाती हैं अजय की बनाईं मूर्तियां
बुरहानपुर से हर साल गणेशोत्सव और नवदुर्गा उत्सव पर देशभर के शहरों में हजारों की संख्या में मूर्तियां जाती हैं। अजय की प्रतिमाएं भी देशभर के कई शहरों में जाती हैं। इसके लिए पहले से ही ऑर्डर बुक हो जाते हैं। अब तक हजारों की संख्या में वह मूर्तियां बना चुके हैं। जानकारी के मुताबिक वे रेलवे में दिव्यांगों को पास बनाने में उनकी मदद करते हैं। एक बार दिनभर में रेलवे के भुसावल मंडल ने उनके ही प्रयास से एक हजार से ज्यादा निःशक्तजनों को पास बनाकर दिए थे। अजय रेलवे सलाहकार भी हैं। हाल ही में 29 दिसंबर को मुझे भुसावल में हुई बैठक में सम्मानित किया गया था।
भगवान राम के 1008 टैटू फ्री में बनाए जाएंगे
22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इंदौर शहर में खासा माहौल है। दुकानें, सड़क, मॉल, बाजार भगवान ‘श्रीराम’ के बैनर, पोस्टर, झंडे आदि से सजने लगे हैं। युवाओं में ‘श्रीराम’ भक्ति का जुनून इस कदर है कि वे सिर पर ‘श्रीराम’ का नाम, सीने और बांह पर भगवान का फोटो और पीठ पर रामलला मंदिर का टैटू बनवा रहे हैं। वहीं इंदौर के एक टैटू आर्टिस्ट ने भक्ति स्वरूप 20-21 जनवरी को ‘श्रीराम’ से संबंधित 1008 टैटू फ्री में बनाने की घोषणा भी की है।