संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के सामने अपने नंबर बढ़वाने की होड़ अफसरों में लगी है। इस होड़ में जनसंपर्क विभाग ने शुक्रवार को समझदारी किनारे रख दी थी। विभाग ने एक फैक्ट चेक जारी किया था। जब सूत्र ने इसकी पड़ताल की तो ये फैक्ट चेक ही फेक निकला। विभाग ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कुश्ती महासंघ में उपाध्यक्ष पद का कोई चुनाव नहीं लड़ा। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की तो कहानी कुछ अलग ही सामने आई।
WFI उपाध्यक्ष पद का चुनाव हारे मोहन
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भारतीय कुश्ती संघ के वाइस प्रेसीडेंट का चुनाव हार गए। MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारतीय कुश्ती संघ के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए पर्चा भरा था जिसमें उन्हें सिर्फ 5 वोट मिले थे। वहीं मध्यप्रदेश जनसंपर्क इस खबर को लगातार झूठा और भ्रामक करार देता रहा, जबकि झूठी जानकारी मीडिया नहीं बल्कि मध्यप्रदेश का जनसंपर्क विभाग दे रहा है।
नामांकन में मोहन यादव का नाम
भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष पद के लिए जो नामांकन दाखिल किए गए थे, उनमें एक नाम प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी है। दरअसल डॉ. मोहन यादव साल 2008 से मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के प्रेसीडेंट हैं और उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष के लिए नामांकन भरा था। जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया तो मोहन यादव ने नाम वापसी के लिए कई कोशिशें कीं, लेकिन भारतीय कुश्ती संघ ने नियमों का हवाला देते हुए नाम वापसी से साफ इनकार कर दिया।
इस मामले में मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के सचिव ने क्या कहा ?
मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के सचिव ने कहा कि मोहन यादव संघ में 2008 से ही प्रेसीडेंट हैं। भारतीय कुश्ती संघ में वही व्यक्ति किसी पद पर चुनाव लड़ सकता है जो किसी स्टेट संघ की कार्यकारिणी में किसी पद पर हो। जून-जुलाई में चुनाव की बात आई तो डॉ. यादव का नाम आगे बढ़ाया गया ताकि वो केंद्र स्तर पर आकर मध्यप्रदेश कुश्ती के लिए बेहतर काम कर सकें। उनका फॉर्म भर दिया गया। इसके बाद वो सीएम बन गए। हमने भारतीय कुश्ती संघ को कई बार पत्र लिखा कि वो नहीं आ पाएंगे, उनका नाम विड्रा कर दीजिए, लेकिन कहा गया कि अब पुराने नामांकन पर चुनाव हो रहे हैं तो हट नहीं सकते हैं। इसलिए रहने दीजिए कोई इश्यू नहीं।
आखिर ये पूरी गफलत हुई कैसे ?
- 13 जून 2023 को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव जून में घोषित हुए। वोटिंग के लिए 12 अगस्त की तारीख तय हुई।
- इसके लिए नामांकन 28 से 31 जुलाई तक जमा होने थे। डॉ. मोहन यादव ने वाइस प्रेसीडेंट के लिए नामांकन भर दिया।
- नाम वापसी 3 से 5 अगस्त थी, नाम वापस नहीं लिया गया। 7 अगस्त को उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट जारी हो गई, इसमें यादव भी थे।
- चुनाव टल गए और बाद में 8 दिसंबर को नया चुनाव शेड्यूल जारी हुआ, जिसमें 21 दिसंबर को वोटिंग होना बताया गया।
- इसमें नामाकंन, नाम वापसी प्रक्रिया रोक दी गई और कहा गया कि ये हो चुका है और अब सिर्फ 21 दिसंबर को वोटिंग प्रक्रिया होगी।
- 13 दिसंबर को मोहन यादव मुख्यमंत्री बन चुके थे। मप्र कुश्ती संघ ने उनके नाम वापसी के लिए काफी कोशिशें की, लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने नियमों का हवाला देकर नाम वापस लेने से मना कर दिया और चुनाव में उनकी दावेदारी बनी रही, जबकि यादव चुनाव लड़ने से मना कर चुके थे।
- इस चुनाव में मध्यप्रदेश की ओर से सचिव यादव भी वोट डालने गए थे, तब भी उन्होंने मना किया कि सीएम यादव का नाम हटा लीजिए, लेकिन फिर मना कर दिया गया और वो मत पत्र में बना रहा। सचिव ने वहां मौके पर भी बता दिया कि यादव चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
- जब नतीजा घोषित हुआ तो डॉ. मोहन यादव ने को सिर्फ 5 वोट मिले और वे चुनाव हार गए।
मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग ने दी झूठी जानकारी
जाहिर है, मुख्यमंत्री मैदान में नहीं थे, ऐसे में उनको कितने वोट मिले ये मायने ही नहीं रखता। वैसे यादव को 5 वोट मिले हैं। जनसंपर्क विभाग ने झूठी जानकारी देकर मीडिया को कटघरे में रखा। जो सरासर गलत साबित हुआ। मीडिया अपनी जगह पूरी तरह से सही था। खुद जनसंपर्क विभाग ने फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज फैलाई। विभाग के अफसर अक्सर छवि चमकाने की जल्दबाजी में ऐसा करते रहते हैं।