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अरुण तिवारी, BHOPAL. मध्यप्रदेश में अब बीजेपी की सरकार बनना तय हो गया है। प्रदेश में बड़े बहुमत से लाड़ली सरकार बनने जा रही है। लाड़ली बहना ने शिवराज भैया पर जमकर प्यार लुटाया है। वो प्यार वोट के रूप में ईवीएम तक भी पहुंचा। जब ईवीएम ने परिणाम उगलने शुरू किए तो ये प्यार, सरकार बनाने तक ले जाने लगा। सुबह 10 बजे ही ये तय हो गया कि प्रदेश में फिर बीजेपी सरकार बनने जा रही है। बीजेपी को मिले इतने बड़े बहुमत से ये साफ है कि ये लाड़ली बहना इफेक्ट है।
वाकई गेमचेंजर बनी लाड़ली बहना
प्रदेश की 1 करोड़ 31 लाख लाड़ली बहना वाकई में गेमचेंजर साबित हुईं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐन चुनाव के मौके पर ये ट्रंप कार्ड खेला था। ये तुरुप का इक्का काम कर गया और इस योजना ने बीजेपी को भरपूर समर्थन दिया। चुनाव के पहले जो एंटीइन्कमबेंसी की बात हो रही थी उसकी हवा निकल गई और सरकार को जबरदस्त समर्थन मिला। लोगों ने अपनी नाराजगी भुलाकर शिवराज सिंह चौहान का साथ दिया। ये जीत इतनी बड़ी है कि इसने 2018 की हार पर पानी फेर दिया है।
70 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले
अधिकांश सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले। इससे जाहिर हो रहा है कि वोटिंग पर लाड़ली बहना योजना का असर दिखाई दिया। मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में इस बार 34 सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा। यानी महिलाओं ने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का जमकर उपयोग किया। इसका अर्थ ये लगा सकते हैं कि मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना का खासा असर महिलाओं के मतदान में दिखाई दिया है। इसी योजना का असर मध्यप्रदेश के चुनाव परिणाम पर भी देखा जा सकता है। जिस तरह महिलाओं ने 34 सीटों पर ज्यादा वोटिंग की थी वहां परिणाम भी बीजेपी के पक्ष में जाते दिखाई दे रहे हैं।
क्या शिवराज को फिर मिलेगा मौका
मध्यप्रदेश में बीजेपी की इस बड़ी जीत से एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान को 5वीं बार मौका मिल सकता है। हालांकि, इस बार बीजेपी ने यहां पर फ्रंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रखकर उनके नाम पर ही चुनाव लड़ा था। इस बार किसी को भी सीएम फेस नहीं बनाया गया था, लेकिन इतनी बड़ी जीत का श्रेय शिवराज को दिया जा सकता है। जानकर कहते हैं कि लाड़ली बहना का कार्ड सीएम ने ही खेला था। इसलिए उनको श्रेय मिलना ही चाहिए क्योंकि इसे सामान्य जीत नहीं माना जा सकता। जानकारों के मुताबिक मोदी, शिवराज सिंह चौहान को एक मौका दे सकते हैं, ये अलग बात है कि वो मौका 5 साल के लिए रहेगा या फिर लोकसभा चुनाव तक।