एमपीपीएससी इंटरव्यू बोर्ड के अपने तरीके, मेंस के टॉपर को टॉप 10 उम्मीदवारों में मिले सबसे कम अंक, एक बोर्ड से उम्मीदवार परेशान

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Neha Thakur
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एमपीपीएससी इंटरव्यू बोर्ड के अपने तरीके, मेंस के टॉपर को टॉप 10 उम्मीदवारों में मिले सबसे कम अंक, एक बोर्ड से उम्मीदवार परेशान

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) ने राज्य सेवा परीक्षा 2020 का अंतिम रिजल्ट जारी कर दिया है, लेकिन इंटरव्यू के अंकों में चौंकाने वाली बाते सामने आई है। किसी बोर्ड और किसी उम्मीदवारों को झोली भरकर अंक मिले हैं तो कहीं पर बहुत कम अंक मिले हैं। हालांकि यह उम्मीदवारों पर उनसे पूछे गए सवालों पर काफी निर्भर करता है लेकिन इसके बाद भी यह अंतर चौंकाने वाला है। जैसे कि टॉप 4 रैंक हासिल करने वाले मनीष धनगर को पूरे प्रदेश में मेंस में सबसे ज्यादा अंक 808.50 मिले हैं लेकिन उन्हें इंटरव्यू में 175 में से केवल 108 अंक ही मिले हैं। इसी तरह मेंस के अंकों में प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहे नंदन तिवारी को 787 अंक मिले, लेकिन इंटरव्यू में केवल 109 अंक मिले जिसके चलते वह टॉप 10 में 9वां स्थान पर पहुंच गए।



टॉपर को 165 अंक और 10वें नंबर के उम्मीदवार को 166 मिले-



टॉपर अजय गुप्ता को थ्यौरी में भले ही 774 अंक थे, लेकिन इंटरव्यू में उन्हें 165 अंक मिले, जिससे उनके कुल अंक 939 हो गए और उन्होंने टॉप किया। दूसरे नंबर पर निधि भारद्वाज को मेंस में 774 अंक और इंटरव्यू में 150 अंक, तीसरे नंबर की सिमी यादव को मेंस में 777.50 व इंटरव्यू में 146 अंक, पांचवे नंबर के अभिषेक मिश्रा को मेंस में 760.50 व इंटरव्यू में 152 अंक, छटे नंबर के अम्बीकेश प्रताप सिंह को मेंस में 767 व इंटरव्यू में 140, सातवें नंबर की ज्योति लिल्हारे को मेंस में 741.50 व इंटरव्यू में 160 अंक, आठवें नंबर की अर्चना मिश्रा को मेंस में 749 व इंटरव्यू में 148 अंक और दसवें नंबर पर रहे शुभम पाटीदार को मेंस में 724 व इंटरव्यू में सबसे ज्यादा 166 अंक मिले हैं। 



चेयरमैन मेहरा का बोर्ड रहा पॉजीटिव, रायकवार के बोर्ड रहा टफ



पीएससी के चेयरमैन डॉ. राजेश मेहरा के इंटरव्यू बोर्ड से सभी उम्मीदवारों को काफी पॉजीटिव रुख देखने को मिला। टॉप 3 उम्मीदवार गुप्ता, भारद्वाज और यादव जिन्हें इंटरव्यू में अधिक अंक मिले, वह सब इन्हीं के बोर्ड में रहे। लेकिन उम्मीदवारों को सदस्य चंद्रशेखर रायकवार का बोर्ड सबसे टफ लगा, यहां पर पीएससी के एक पूर्व सदस्य भी विशेषज्ञ के तौर पर शामिल थे, जो पहले से ही बोर्ड में कम अंक दिए जाने के लिए पहचान रखते रहे हैं। इसी बोर्ड में मेंस का टॉपर मनीष धनगर भी सामने आया जिसे टॉप 10 उम्मीदवारों में सबसे कम अंक मिले।



पद से लेकर वरिष्ठता तक सभी में आ जाता है फर्क-



दरअसल इंटरव्यू के अंक उम्मीदवारों के अंतिम चयन में पद और वरिष्ठता के लिहाज से काफी अहम होते हैं। इंटरव्यू में कम अंक के चलते उम्मीदवारों को मिलने वाला डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसा पद कब जेल अधीक्षक, सहायक आयुक्त से लेकर नायब तहसीलदार में तब्दील हो जाता है। इस बार टॉपर अजय गुप्ता को साल 2017 में इंटरव्यू में 140 अंक मिले थे और वह डिप्टी कलेक्टर की जगह डीएसपी पद पर चयनित हुए थे और इसके पहले 2016 की परीक्षा में उन्हें केवल 75 अंक मिले थे और वह नायब तहसीलदार पद पर चयनित हुए थे। ऐसे में जब कम पद हो तब एक-एक अंक भी अहम हो जाता है। वहीं अभी भले ही टॉप 10 सभी डिप्टी कलेक्टर बने हैं, लेकिन सीनियरिटी उनकी इसी तरह रहेगी, आगे जाकर प्रमोशन, डीपीसी में सीनियरिटी ही काउंट होती है।



बिहार पीएससी ने किया है प्रावधान, अधिक और कम अंक का कारण बताना होगा-



बिहार पीएससी ने तो यह प्रावधान किया हुआ है कि यदि इंटरव्यू में किसी बोर्ड में जिसे भी सबसे ज्यादा अंक दिए जाते हैं और सबसे कम अंक दिए जाते हैं तो बोर्ड को इसका कारण बताना होता है। फिलहाल एमपी पीएससी ने यह व्यवस्था नहीं है। वहीं कई उम्मीदवारों का कहना है कि यह व्यवस्था तो होना चाहिए कि बहुत ज्यादा अंतर नहीं आ सके, कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि एक ही उम्मीदवार का दो बोर्ड में इंटरव्यू हो और जो औसत आए वह अंक दिए जाएं।



गरीबों के बच्चों को इंटरव्यू में सबसे ज्यादा औसत अंक-



वहीं द सूत्र ने सभी चयनित उम्मीदवारों के इंटरव्यू के अंकों का विश्लेषण किया है। इसमें सामने आया है कि अनारक्षित वर्ग और ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों का इंटरव्यू में प्राप्त औसत अंक सबसे ज्यादा 124 है। वहीं एससी (अनुसूचित जाति) में सबसे कम औसत 115, तो एसटी (अनुसूचित जनजाति) में से औसत अंक 119 रहा है। वहीं ओबीसी वर्ग में यह औसत 121 रहा है। अनारक्षित में सबसे कम अंक 81 तो अधिक अंक 165 रहा, वहीं ओबीसी में सबसे न्यूनतम इंटरव्यू अंक 82 और अधिकतम 166 रहा, एसटी में न्यूनतम 70 व अधिकतम 163 रहा, एससी कैटेगरी में न्यूनतम अंक 80 व अधिकतम 150 रहा, वहीं ईडब्ल्यूएस में न्यूनतम अंक 89 तो अधिकतम अंक 165 रहे हैं।


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