BHOPAL. पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिमनी से विधायक नरेंद्र सिंह तोमर का सर्वसम्मति से मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष बनना तय हो गया है। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों की ओर से भी सोमवार उनके नाम का औपचारिक प्रस्ताव सचिवालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
नेता प्रतिपक्ष और विपक्षी नेताओं ने किया समर्थन
नवगठित सोलहवीं विधानसभा के चार दिवसीय सत्र के पहले दिन अध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर के नाम का प्रस्ताव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अलावा पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और भूपेंद्र सिंह की ओर से किया गया। इसके साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय सिंह, डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह और जयवर्धन सिंह की ओर से भी तोमर के नाम का प्रस्ताव रखा गया। इसका समर्थन नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, प्रहलाद पटेल, राजेंद्र शुक्ल, रामनिवास रावत, हेमंत कटारे और तुलसी सिलावट की ओर से किया गया। इसी के साथ अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन की तिथि 20 दिसंबर को तोमर का सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित होना तय हो गया।
कौन हैं नरेंद्र सिंह तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री के रूप में कई महत्वपूर्ण दायित्वों को संभाल चुके हैं। तोमर 2023 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की दिमनी सीट से जीत कर आए हैं। नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म 12 जून 1957 को मुरैना जिले की पोरसा तहसील के औरेठी गांव में हुआ था। उनके पिता मुंशीसिंह तोमर पेशे से किसान थे। स्नातक तक शिक्षा हासिल करने वाले नरेंद्र सिंह केंद्र और राज्य सरकार में महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व मंत्री के रूप में संभालते आए हैं। वे संगठन में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे और वे कुशल प्रशासक के साथ ही बेहतर संगठक तथा समन्वयक के रूप में पहचाने जाते हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर का राजनीतिक सफर
राज्य के ग्वालियर चंबल अंचल का प्रतिनिधित्व करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर ने छात्र जीवन के दौरान राजनीति में प्रवेश किया और वे ग्वालियर के मुरार स्थित शासकीय महाविद्यालय में साल 1979- 80 में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। वे 1983 से 1987 तक ग्वालियर नगर निगम में पार्षद रहे और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।
ग्वालियर से लड़ा था पहला विधानसभा चुनाव
मितभाषी, सहज और सरल व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले नरेंद्र सिंह तोमर ने साल 1998 में ग्वालियर सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्होने कांग्रेस के अशोक कुमार शर्मा को 26 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। साल 2003 में उन्होंने एक बार फिर से बीजेपी के टिकट पर इसी सीट का प्रतिनिधित्व किया और तब गठित हुई बीजेपी की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, ग्रामोद्योग, मछलीपालन एवं पशुपालन विभाग के मंत्री बने। वे बीजेपी की बाबूलाल गौर सरकार के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार में भी मंत्री रहे। तोमर ने शिवराज सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास के साथ ही जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभाग को भी संभाला। साल 2008 में उन्हे सर्वश्रेष्ठ मंत्री के रूप में नवाजा गया था।
2023 में सांसद से विधायक बने तोमर
बीजेपी ने मुरैना से सांसद रहे नरेंद्र सिंह तोमर को 2023 के विधानसभा चुनाव में को दिमनी सीट से मैदान में उतारा था। तोमर ने इस सीट से बड़ी जीत दर्ज करते हुए बसपा और कांग्रेस को हराया है। जीत के बाद तोमर ने मुरैना संसदीय सीट के साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसके साथ ही वे विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक के रूप में कार्य करते रहे।
2009 में मुरैना और 2014 में ग्वालियर से बने थे लोकसभा सांसद
नरेंद्र सिंह तोमर 2019 के लोकसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद चुने गए थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में तोमर ग्वालियर सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद उन्हें मोदी सरकार में इस्पात, खान, श्रम एवं रोजगार विभाग का मंत्री बनाया गया। इसके बाद जुलाई 2016 में उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। सितंबर 2017 में तोमर को ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खान विभाग का जिम्मेदार दिया गया। अक्टूबर 2018 में तोमर को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं नरेंद्र सिंह तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदेश बीजेपी संगठन में भी अपनी भूमिका को साबित किया हैं। 1980 में वे ग्वालियर में बीजेपी युवा मंच के अध्यक्ष रहे, 1986 में बीजेपी युवा मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए। 1986 में मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। साल 2006 में वे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके हैं। 16 दिसंबर 2014 को प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हुए। इसके पहले वे मार्च 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर नियुक्त किए गए थे। उन्होंने 2009 के चुनाव में मुरैना संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी के रूप में विजय हासिल की थी। इसी साल जनवरी में मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए।