Ujjain. महाकाल लोक के द्वितीय चरण में पूर्व दिशा की ओर नीलकंठ द्वार का काम पूरा होने को है। अभी इसका 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है, उम्मीद की जा रही है कि सावन का महीना खत्म होते-होते इसका काम पूरा हो जाएगा और श्रद्धालु इस पूर्वी द्वार से प्रवेश करने लगेंगे। आने वाले समय में इस नीलकंठ द्वार के साथ यहां वन क्षेत्र भी विकसित करने की योजना है।
उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि नीलकंठ मार्ग का डेवलपमेंट स्मार्ट रोड की तर्ज पर हो रहा है। इसके अंतर्गत मांर्ग में भूमिगत अधोसंरचनाएं तैयार कराई जा रही हैं। इसके एक ओर म्यूरल वॉल बन रही है, जिसकी ऊंचाई 5 मीटर होगी। इसका काम 80 फीसदी हो चुका है बाकी का काम सावन के महीने में पूरा करने का टारगेट रखा गया है। इस काम की लागत 22.36 करोड़ रुपए के करीब है।
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महाकाल में पूर्व दिशा का है बड़ा महत्व
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य पं प्रदीप गुरु की मानें तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में पूर्व दिशा का बड़ा महत्व है। भस्म आरती के लिए पहले पूर्व दिशा से ही प्रवेश दिया जाता था। हाल में निर्माण कार्यों के चलते दक्षिण दिशा से प्रवेश दिया जाने लगा। नीलकंठ द्वार का काम पूरा हो जाने के बाद भक्तों को पूर्व दिशा से प्रवेश मिलने लगेगा।
प्रवेश मार्ग में दिखेगी उज्जैन की संस्कृति
नीलकंठ प्रवेश द्वार के मार्ग पर 35 भित्तिचित्र शोभा बढ़ाएंगे। इस मार्ग पर उज्जैन की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत दिखाई जाएगी। करीब 7 करोड़ की लागत से बन रहे भित्तिचित्र और रंगीन फव्वारे महाकाल लोक को और भी मनोरम बनाएंगे। बताया जा रहा है कि नीलकंठ द्वार के पास बन रही म्यूरल्स वॉल उसी तरह की दिखाई देगी जैसी त्रिवेणी संग्रहालय से मानसरोवर गेट के एक तरफ बनाई गई म्यूरल्स वॉल है। वहीं यहां विकसित किया जाने वाला वनक्षेत्र भी महाकाल लोक में चार चांद लगाएगा।