हरीश दिवेकर। प्रदेश में पिछले 8 दिनों से चल रहे सीधी पेशाब कांड ने एक बार फिर लोगों के जेहन पीपली लाइव फिल्म की यादें ताजा कर दी हैं, रील में नत्था था और रियल में दशमत। क्या सत्ता क्या विपक्ष हर कोई अपने तरीके से दशमत को कैश करने में लगा हुआ है। जैसे-तैसे मामा ने चरण धोकर सुदामा बनाकर मामला संभाला था कि अचानक सीधी लाइव में नया मोड़ आ गया है अब सोशल मीडिया के शूरवीरों ने दावा कर दिया कि पेशाब कांड में जो युवक दिख रहा है वो दशमत नहीं है। सरकार और पुलिस की नींद उड़ गई। उनका दावा है कि वीडियो वाला शख्स दशमत ही है। इसी बीच मीडिया ने फिर दशमत को पकड़कर सवाल करना शुरू कर दिए, जिस पर दशमत भी घबराहट में कह रहा है कि उसे भी लगता है वीडियो में वो नहीं है। यदि ये सही है तो वीडियो में कौन था और वो कहां है। पुलिस दशमत को कहां से पकड़ लाई.....खैर आने वाले दिनों में सीधी लाईव जो है पीपली लाइव को भी क्रॉस कर सकती है। आप तो सीधे नीचे उतर आईए और राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में घट रही रोचक चर्चाओं का रसास्वादन करिए......।
रंगीले राज्यमंत्री को पत्नी ने पकड़ा
माननीय को रंगरैलियां मनाते हुए उनकी पत्नी ने रंगे हाथों पकड़ लिया, मजे की बात ये है कि रंगीले राज्यमंत्री की मुखबिरी कोई ओर नहीं उनका बेटा ही कर रहा था। जैसे ही बेटे को जानकारी मिली कि एक निजी मकान में माननीय किसी महिला के साथ इश्क फरमा रहे हैं वो अपनी मां को लेकर पहुंच गया। राज्यमंत्री रंगे हाथों पकड़े गए, फिर क्या था जो होना था वो ही हुआ...ले तेरी ले मेरी....आप समझ ही गए होंगे। राज्यमंत्री ने पत्नी के पांव पकड़कर कसम खाई अब नहीं करुंगा, परिवार की इज्जत न उछले इसलिए पत्नी-बेटा गुस्से का घूंट पीकर चुप हैं, लेकिन हरिराम ने अपना काम कर दिया। अब समर्थक भी राज्यमंत्री के रंगीले मिजाज के चर्चे कर रहे हैं। हम समझ गए आप जानना चाहते हैं कि ये महाशय आखिर कौन है, तो हम आपको इशारों में बता देते हैं, सिंधिया के साथ बीजेपी में आए ये महाशय उपचुनाव हार चुके हैं, कांग्रेस पार्टी छोड़ने के ईनाम में इन्हें निगम-मंडल का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
मंत्रीजी को लगा 500 करोड़ का फटका
मंत्रीजी इन दिनों सदमे में हैं,और मीडिया को कोस रहे हैं। वे रातों रात अरबपति बनने का सपना देख रहे थे, इसी बीच मीडिया ने खबरें छापकर पूरा रायता फैला दिया। बताते हैं कि मंत्री को 500 करोड़ का फटका लगा है। मामला उजागर होने के बाद सत्ता-संगठन में सफाई देना पड़ रही है वो अलग। मंत्री के फेर में बिल्डर भी आ गए। इन्होंने अच्छी खासी रकम मंत्री के कहने पर दांव लगाई थी। जी हां, आप सही समझे। पूरा मामला मालवा की धार्मिक नगरी का है। मास्टर प्लान में कौड़ी मोल की जमीन को करोड़ों की बनाने का खेल खेला गया था। मामला खटाई में जाने के बाद मंत्रीजी ने दिल्ली के बड़े नेताजी से संपर्क साधा है। मंत्री के करीबी बताते हैं कि बड़े नेताजी के बेटे की हाल ही में जयपुर में हुई शादी का खर्चा मंत्री ने ही उठाया था, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि वहां से मामला जम जाएगा।
मंत्री जी पर शनि की वक्रदृष्टी
मामा की आंख के तारे कहे जाने वाले मंत्रीजी पर शनि की वक्रदृष्टी हो गई है। हालात यह हैं कि कल तक अकड़कर राजनीति करने वाले मंत्रीजी अपनी साख बचाने के लिए सारे समीकरण साधते फिर रहे हैं, हाल ही में बीजेपी कार्यालय पहुंचकर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने भी पहुंचे। ये वही मंत्री हैं जो कल तक वीडी को अपना जूनियर बताते हुए उन्हें भाव नहीं देते थे, आज उन्हें मीडिया में अपना नेता बता रहे हैं। अंदरखाने की मानें तो वीडी की सलाह पर मंत्रीजी अपने जिले के पार्टी कार्यालय भी गए। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कुछ दिनों पहले इन मंत्रीजी के खिलाफ उनके जिले के दो मंत्रियों, विधायकों और जिलाध्यक्ष ने मोर्चा खोला था। उसके बाद से मंत्रीजी के ग्रह नक्षत्र गड़बड़ा हुए हैं।
पिताजी की विरासत संभालने की जल्दी में बबुआ जी
बुंदेलखंड के जिले से मंत्रीजी भारी कंफ्यूजन में हैं। समझ नहीं पा रहे हैं कि खुद चुनाव लड़े कि अपने शहजादे को लड़वाएं...खुद के टिकट और जीत की गारंटी तो है, लेकिन बबुआ का क्या करें...उधर बबुआ जी चुनावी मैदान में उतरने को भारी बेताब हैं। पप्पाजी की कुर्सी खाली होने का इंतजार भी नहीं झेल पा रहे हैं...उनकी बैचेनी अब साफ नजर आने लगी है। क्षेत्र की जनता से मिलने और उनकी शिकायतों को सुनने के बाद पप्पाजी कुर्सी से उठे नहीं, कि बेटे जी बैठ जाते हैं...खबरों के अय्यार तो यह भी बताते हैं कि बेटे जी चुपके-चुपके अपने खास लोगों से यह भी कहते सुने जाते हैं कि... यार, पता नहीं ये कब मानेंगे...
डायरेक्ट के निशाने पर प्रमोटी आईएएस
क्या डायरेक्ट आईएएस के निशाने पर हैं, प्रमोटी आईएएस। एक साथ तीन प्रमोटी आईएस के खिलाफ लोकायुक्त मामला दर्ज होने के बाद ये सवाल प्रमोटी आईएएस के वॉट्सऐप ग्रुप पर उठ रहा है। प्रमोटी ग्रुप में उठ रहे सवालों में कहा जा रहा है कि जब कलेक्टर ने आदिवासियों की जमीन को बेचने के पावर डेलीगेट किए थे तो वो दोषी क्यों नहीं माने जा रहे। क्योंकि वे सभी डायरेक्ट आईएएस थे। लोकायुक्त ने डायरेक्ट आईएएस की रिपोर्ट पर ही मामला दर्ज किया है। प्रमोटी आईएएस अफसरों का मानना है कि फील्ड में वो बेहतर काम करते हैं, इसलिए उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिलती हैं। इससे डायरेक्ट आईएएस लॉबी नाराज रहती है। युवा आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, इसलिए प्रमोटी आईएएस पर मामला दर्ज करवाकर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। क्या सच क्या झूठ ये तो डायरेक्ट और प्रमोटी जानें, लेकिन ये भी सच है कि अकेले प्रमोटियों के फंसने और डायरेक्ट के बचने से धूंआ तो उठेगा ही।
भर्ती ने बढ़ाया एसीएस का बीपी
मामा ने 15 अगस्त तक 1 लाख भर्तीयां करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसका अमल होता नहीं दिख रहा। 10 महीने में 45 हजार को मिल पाई हैं, अब सिर्फ 36 दिन बचे हैं, ऐसे में 55 हजार कैसे भर्ती कर पाएंगे। ऐसे में भर्ती की जिम्मेदारी देख रहे अपर मुख्य सचिव का बीपी बढ़ा हुआ है। ये साहब बात-बात पर भड़क रहे हैं, हालात ये हैं कि उनके कमरे में जाने से अब प्यून भी कतराने लगे हैं, कहने लगे हैं कि साहब एक लाख भर्ती करने का टारगेट पूरा करवा पाए या नहीं, लेकिन मानसिक प्रताड़ना देकर दो चार को नौकरी छोड़ने पर मजबूर जरूर कर देंगे।