BHOPAL. मध्यप्रदेश की पौराणिक महत्व वाली शिप्रा नदी के पानी की साफ सफाई और अन्य सुधारों पर सरकार ने कराड़ों रुपए खर्च किए हैं, पर उसकी बदहाली बदस्तूर जारी है। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नाराजी जताई है। इस मामले में एनजीटी ने केंद्र और राज्य शासन को आदेश दिया है कि शिप्रा, गंगा की ही एक सहायक नदी (ट्रिब्यूटरी) है, इसलिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत रिवर गंगा (रेजुविनेशन, प्रोटेक्शन एंड मैनेजमेंट) अथॉरिटी ऑर्डर 2016 के सभी प्रावधान शिप्रा पर भी लागू किए जाएं।
एनजीटी की दो विभागों को फटकार, कहा- महीनेभर में एक्शन प्लान दें
एनजीटी ने गुरुवार (13 जुलाई) को मप्र जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए कहा है कि आप दोनों का रवैया बर्दाश्त के लायक नहीं हैं। आपको चेतावनी है, एनजीटी के आदेश का पालन करें, अन्यथा सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहें। एनजीटी ने दोनों अफसरों को एक माह के भीतर शिप्रा के पुनर्जीवन का प्लान और नदी के हिस्से पर अतिक्रमण को हटाने का एक्शन प्लान पेश करने का आदेश दिया है।
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विक्रम विवि के ईसी मेंबर की याचिका पर अब सुनवाई 16 अगस्त को
अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। एनजीटी ने विक्रम विवि के ईसी मेंबर सचिन दवे की याचिका पर अप्रैल में दोनों अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर 13 जुलाई तक शिप्रा की बदहाली की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था पर सरकार के वकील ने रिपोर्ट तैयार नहीं होने के कारण अतिरिक्त समय मांगा था।
चार जिलों के कलेक्टरों से मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने इंदौर, उज्जैन, देवास और रतलाम कलेक्टर को भी आदेश दिया है कि वे चारों नदी की बेहतरी के लिए अपनी ओर से अलग-अलग रिपोर्ट एक माह के भीतर एनजीटी के सामने पेश करें। इसमें बताएं कि नदी की जमीन पर कहां और कितना अतिक्रमण हैं। अभी तक इस दिशा में क्या-क्या कार्रवाई की गई है, उसकी जानकारी भी दें।