BHOPAL. मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव रहीं निर्मला बुच अपनी तेजतर्रार शैली के लिए जानी जाती थीं। अब वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली को याद किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के वक्त का है। जब पूरे देश सहित मध्यप्रदेश में भी अलर्ट था। भोपाल में हालात बेकाबू हो रहे थे। उसी दौरान तत्कालीन सीएस निर्मला बुच अपने सहयोगी अफसर के साथ सीएम सुंदरलाल पटवा (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के पास पहुंची और भोपाल कलेक्टर को हटाने के लिए अड़ गई थीं। इसके बाद भोपाल कलेक्टर एमए खान की जगह प्रवेश शर्मा को कलेक्टर बनाया गया और उसके बाद भोपाल के हालात काबू में आए।
अंतिम संस्कार आज
यहां बता दें निर्मला बुच का रविवार (9 जुलाई) को निधन हो गया। वे 88 वर्ष की थीं। उनका अंतिम संस्कार सोमवार (10 जुलाई) सुबह 11 बजे भदभदा विश्रामघाट पर होगा। उनके पति महेश नीलकंठ बुच का निधन 8 साल पहले 6 जून 2015 को हो गया था। वे भी तेजतर्रार आईएएस अफसर थे।
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...और कलेक्टर बदलते ही भोपाल में दंगे थम गए
पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच के साथ गृह विभाग के प्रमुख सचिव रहे केएस शर्मा ने अपने कॉलम 'साथी की कलम' में बाबरी मस्जिद विध्वंस (6 दिसंबर 1992) के दौरान की घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि एमपी के कलेक्टर, एसपी और कमिश्नर के लिए इंस्ट्रक्शन निकाले गए। सीएस बुच ने फिर देर रात सीएम सुंदरलाल पटवा को अपडेट किया और बताया कि भोपाल को छोड़कर सभी जिलों में कानून व्यवस्था ठीक है। भोपाल में दंगे भड़क गए हैं। घटना के एक-दो दिन में भी जब स्थिति नहीं संभली तो सीएस बुच सीएम पटवा जी के पास गईं। उन्होंने सीधे कहा, भोपाल कलेक्टर एमए खान को अभी हटाना है। सीएम ने कहा, यह समय किसी की गलती निकालने का नहीं है। जिस पर बुच ने कहा कि यदि हटा देंगे तो तुरंत स्थिति नियंत्रण में हो जाएगी। सीएम पटवा कुछ कहते, लेकिन वे अड़ गईं। तत्काल कार्यवाही हुई। इसके बाद नए कलेक्टर प्रवेश शर्मा के आते ही भोपाल की स्थिति कंट्रोल में आ गई।
... और अगली सुबह सरपंचों के साथ योजनाओं की बैठक कर ली
एक बार जब निर्मला बुच ग्रामीण विकास की प्रमुख सचिव थीं। तब रीवा से एक बैठक करके लौट रहीं थीं। बारिश के कारण सागर-भोपाल के बीच एक पुल पर पानी आ गया। जिससे भोपाल नहीं पहुंच सकीं तो एक टूटे-फूटे से रेस्ट हाउस में रुकना पड़ा। अगली सुबह उठीं तो वहां के सरपंचों के साथ उन्होंने योजनाओं की बैठक कर ली। इसके बाद वे मुख्य सचिव बनीं। तो पद संभालते ही उन्होंने केएस शर्मा को पीएस गृह बनवाया। उस वक्त शर्मा उद्योग विभाग में पीएस थे। बताते हैं वे निर्णय लेने में देर नहीं करती थीं।
निर्मला बुच मेहनती लेडी थीं और राजनीतिक दबाव घवराती नहीं थीं। राजनेताओं के सामने अपना पक्ष तर्क सहित रखती थीं। अच्छी ह्यूमन बीइंग के साथ वर्सेटाइल पर्सनेलिटी थी उनकी। सिफारिश और गैर वाजिब काम कराने से हर कोई डरता था। उनसे कोई भी कभी भी मिल सकता था।