संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में 30 मार्च को रामनवमी के दिन हुए बावड़ी हादसे में 36 मौत के बाद अब मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट सामने आई है। इसमें मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव के साथ ही भवन अधिकारी, भवन निरीक्षक, सर्वे टीम को इसमें सीधे तौर पर जिम्मेदार माना गया है। लेकिन बड़े अधिकारियों से लेकर नेता तक इस रिपोर्ट में बाहर है। वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि 31 मार्च को तत्कालीन निगमायुक्त ने भवन अधिकारी, भवन निरीक्षक को सस्पेंड किया था लेकिन इसमें से भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को वर्तमान निगम आयुक्त हर्षिका सिंह वापस बहाल भी कर चुकी है। वहीं एक नहीं उन्हें दो-दो झोन का भी प्रभार दे दिया गया यानि जिम्मेदारी और काम और बढ़ाकर दिया गया।
निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने यह पत्र लिखकर किया था सस्पेंड
31 मार्च 2023 को निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने सस्पेंड करने का आदेश दिया था, इसमें था कि भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी द्वारा पदीय दायित्व का समुचित निर्वहन नहीं किया जा रहा है। अतिक्रमण हटाए जाने के समय-समय पर वरिष्ठ स्तर से दिए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्वैच्छिक कार्यप्राणाली को दर्शित करता है, जो निगम हित के प्रतिकूल है। प्रभात तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबत किया जाता है और विभागीय जांच के आदेश किए जाते हैं। इस दौरान वह ट्रेचिंग ग्राउंड अटैच रहेंगे। (इसी आदेश से भवन अधिकारी पीआर अरोलिया भी सस्पेंड हुए)
अब देखिए तिवारी की बहाली के लिए क्या आदेश हुए निगमायुक्त हर्षिका सिंह से..
14 सितंबर 2023 इस दिन निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने आदेश जारी कर भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी की बहाली कर दी। आदेश में यह लिखा गया नगरीय क्षेत्र में कार्य महत्ता, तकनीकी अमले का अभाव व किए गए अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए प्रभात तिवारी के विरुद्ध विभागी जांच को जारी रखते हुए बहाल किया जाता है। कार्य सुविधा की दृष्टि से तिवारी को झोन 6 व 9 के भवन निरीक्षक को दायित्व दिया जाता है।
इतना ही नहीं निगमायुक्त ने 20 दिसंबर को ही कलेक्टर इलैयाराजा टी को पत्र लिखकर इस बहाली की भी सूचना दी और लिखा गया कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच जारी है। नगरीय क्षेत्र में कार्य की महत्ता व तकनीकी अमले का अभाव देखते हुए और तिवारी के अनुरोध पर सहानूभुति पूर्वक विचार करते हुए बहाल किया गया है, जांच जारी रहेगी। वहीं आरोलिया निलंबित ही रहेंगे और विभागीय जांच जारी है
जानें विभागीय जांच में आरोलिया और तिवारी पर क्या लगे हैं आरोप
1. आपके द्वारा बावड़ी मामले में झोन 18 में नोटिस जारी किए गए लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। जो अनुशासनहीनता व स्वैच्छिक कार्यप्रणाली बताता है।
2. इस मामले में मंदिर ट्रस्ट को दिए नोटिस में उनके जवाब में स्पष्ट तौर पर बावड़ी जीर्णोद्धार की बात कही गई, लेकिन आपके द्वारा यह जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाई गई।
3. मंदिर का भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया और ना ही वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में बातें लगाई गई।
4. बावड़ी की स्लैब धाराशाई होने और घटना होने से निगम की छवि धूमिल करने का आरोप
(इन आरोपों की जांच चलने के बाद भी तिवारी को बहाल किया गया है)
सर्वेयर कंपनी तरू लिडिंग पर भी कोई कार्रवाई नहीं
मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है कि निगम की ओर से जल स्रोतों का सर्वे हुआ लेकिन इसमें बावड़ी का जिक्र ही नहीं है। यह बात निगम अधिकारियों ने भी बयान में कही है। यह सर्वे काम 10 लाख 61 हजार रुपए में निगम ने टेंडर कर तरू लिडिंग एज प्रालि ठिखाना, देवदर्शन अपार्टमेंट सांघी ब्रदर्स के सामने पलासिया तर्फे प्रेमकुमार चावड़ा को दिया। यह सर्वे साल 2014 में दिया गया था। यानि कंपनी यदि ठीक से काम करती और बावड़ी चिन्हित कर देती तो निगम में भी जिम्मेदारी तय होती। इसके लिए भोपाल की ओर से निगम को 15 लाख रुपए का फंड भी मिला था।
मजिस्ट्रियल जांच में एक गवाह ने निगम अधिकारियों को बताया है दोषी
मजिस्ट्रिलय जांच में एक गवाह अश्विन बंजारिया ने खुलकर निगम अधिकारियों को लेकर बयान दिया है। इसमें कहा गया है कि रहवासियों ने मंदिर में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को शिकायत की थी। यह शिकायत पीआर आरोलिया को जांच के लिए भेजी गई लेकिन आरोलिया ने स्थल निरीक्षण के बाद भी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के साथ मिलकर षड़यंत्र करके मंदिर परिसर स्थित बावड़ी पर हो रहो अवैध निर्माण को नहीं रोका। ना ही नोटिस पर कोई कार्रवाई की। मंदिर ट्रस्ट ने बावड़ी के जीर्णोद्धार की बात भी कही, इससे साफ है कि आरोलिया को बावड़ी की जानकारी थी।
निगमायुक्त ने भी मामले में कोई पालन प्रतिवेदन नहीं लिया। निगम अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए 30 जनवरी 2023 की तारीख में एक मंदिर ट्रस्ट को अतिक्रमण हटाने का नोटिस हादसे के बाद में तैयार किया गया, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके। साफ है कि पूरी जिम्मेदारी निगमायुक्त, आरोरिया, तिवारी और सबनानी व गलानी की है।
बड़े अधिकारियों के साथ इसी तरह नेता भी हो लिए बाहर
इस मामले में निगम के बड़े अधिकारियों के नाम बयानों में साफ आए हैं कि उन्हें इस मामले की जानकारी थी लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह यह बात भी बयानों में साफ आई कि मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने खुलकर नेताओं का हवाला दिया और निगम पर दबाव बनाया कि कार्रवाई नहीं हो। इस दबाव में निगम भी आ गया और अपने काम भूलकर मामले में आंख मूंद ली, इसके चलते 36 लोगों की जान गई और 18 घायल हुए।
मजिस्ट्रियल जांच में इन्हें माना दोषी
1. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी जो मंदिर के संचालन व उसमें होने वाले कार्यक्रमों को देखते थे उन्होंने मंदिर के पटल व अन्य जगह बावड़ी को लेकर कोई बोर्ड नहीं लगाए। जबकि वह जानते थे कि मंदिर में बावड़ी है। बावड़ी की जानकारी नहीं देने के पूरी तरह से दोषी है।
2. निगम के अधिकारियों ने बताया कि निगम के सर्वे में मंदिर में कहीं पर कोई बावड़ी दर्ज नहीं है। साफ है कि सर्वे करने में निगम की टीम ने लापरवाही की है। इसे सुरक्षित करने के भी कोई प्रयास नहीं किए घए हैं। यदि यहां पर बोर्ड लगाए जाते तो दुर्घटना टल सकती थी। निगम के तत्कालीन व वर्तमान जोनल अधिकारी व जल यंत्रालय विभाग के तत्कालीन व वर्तमान अधिकारी इसके लिए दोषी है।
3. यहां हो रहे अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किए गए, जवाब लिए गए लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए निगम के भवन अधिकारी व भवन निरीक्षक भी दोषी है।
4. मंदिर ट्रस्ट ने निगम पर डाली जिम्मदारी
मजिस्ट्रियल जांच में सभी के बयानों से साफ है कि इस मामले में मंदिर ट्रस्ट ने अपनी जिम्मेदारी निगम अधिकारियों पर डाल दी। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट को निर्माण के दौरान बेवजह नोटिस दिए गए। हम तो बावड़ी के जीर्णोद्धार कर यहां से पेयजल की व्यवस्था करना चाहते थे। लेकिन निगम ने नोटिस देकर हमें इस काम से रोक लिया। यदि यह करने दिया जात तो बावड़ी का जीर्णोद्धार हो जाता और दुर्घटना नहीं होती।
आयुक्त और वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया था: निगम अधिकारी
वहीं नगर निगम के अधिकारियों जोनल अधिकारी अतीक खान के साथ ही भवन अधिकारी पीआर आरोलिया, भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी के बयान भी हुए। इसमें खान ने बताया कि सर्वे में कोई बावड़ी कहीं भी नहीं आई है और ना ही निगम ने बावड़ी पर स्लैब डालने का कोई काम किया है, क्योंकि हम स्लैब डालते ही नहीं है, जालियां लगाते हैं। पटवारी द्वारा भी बताया गया इस सर्वे नंबर पर कोई बावड़ी, कुआं दर्ज नहीं है। आरोलिया ने कहा कि अवैध अतिक्रमण के नोटिस दिए थे, मंदिर ट्रस्ट ने जवाब में बताया था कि बावड़ी है और टिन शेड से बंद है। कार्रवाई करने पर मंदिर पदाधिकारी द्वारा विवाद किए जाते थे, यह भी कहा कि आपके पास वरिष्ठ अधिकारियों व निगमायुक्त से फोन आ जाएगा यहां से चले जाओ। लेकिन किसी का फोन नहीं आया लेकिन मैंने जानकारी निगमायुक्त (प्रतिभा पाल) के संज्ञान में ला दी थी। वरिष्ठ अधिकारी अनूप गोयल को भी बता दिया था। लेकिन मैं जल यंत्रालय नहीं देखता हूं, इसलिए मुझे अधिक जानकारी नहीं है।
कांग्रेस ने की दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे की मांग है कि 36 लोगों की मौत के मामले में दोषी पाए गए निगम अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। इस दर्दनाक घटना की जिम्मेदारी किसी भी विभाग के किसी भी अधिकारी के द्वारा नहीं ली गई थी और इस घटना पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है । इस घटना के बाद में कलेक्टर के द्वारा मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए थे। अब तक यही कहते हुए कार्रवाई करने से सरकारी अमला बच रहा था कि जांच की रिपोर्ट सामने आ जाने दीजिए। अब जब जांच की रिपोर्ट सामने आ गई है तो फिर अब कोई देरी नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट में नगर निगम के उस समय के जोनल अधिकारी अतीक खान, भवन अधिकारी आरोलिया और भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को सीधे तौर पर दोषी बताया गया है। इसके साथ ही इस जोनल कार्यालय पर उनके पूर्व तैनात सभी जोनल अधिकारी, भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक को भी दोषी ठहराया गया है।
आपराधिक प्रकरण दर्ज हो: चौकसे
चिंटू चौकसे ने कहा कि इंदौर के पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर से से भी मांग है कि इस रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।