BHOPAL. मध्यप्रदेश में आज ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में काम ठप रहेगा। क्योंकि इन दफ्तरों को चलाने वाले क्लर्क समेत ज्यादातर कर्मचारी सामूहिक अवकाश ले चुके हैं। दरअसल मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा समेत 6 संगठनों ने संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश व्यापी आंदोलन का शंखनाद कर रखा है। ये लोग अपनी 39 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 4 साल बाद सरकारी कर्मचारियों का यह सबसे बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। इससे पहले संयुक्त मोर्चे ने ऐसा ही आंदोलन किया था।
15 दिन से चल रही थी मंत्रणा
दरअसल इस आंदोलन को लेकर बीते 15 दिन से संयुक्त मोर्चा अलग-अलग विभागों में गेट मीटिंग कर रहा था। बीते रोज विंध्याचल और पर्यावास भवन में गेट मीटिंग की गई थी। लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एमपी द्विवेदी का कहना है कि 90 प्रतिशत कर्मचारी छुट्टी के आवेदन दफ्तरों में जमा करा चुके हैं। इस मीटिंग में एमपी द्विवेदी के साथ-साथ संजय दुबे, उमाशंकर तिवारी, वीरेंद्र खोगल, भुवनेश पटेल, रियाज खान, विजय रघुवंशी और मेहरबान खान समेत अनेक कर्मचारी नेता मौजूद थे।
आंदोलन से इन विभागों का काम रहेगा ठप
कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से आयुक्त कोष एवं लेखा संबंधित विभागों में किसी प्रकार का काम नहीं होगा। जमीन, मकान या दुकान की रजिस्ट्री भी नहीं हो पाएगी। कलेक्ट्रेट, तहसीली और एसडीएम दफ्तर में नक्शा, खसरा, नामांतरण, बंटवारा जैसे काम भी प्रभावित होंगे। राजस्व वसूली भी थम जाएगी। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी, पीएचई, आरईएस और जल संसाधन विभाग में ठेकेदारों के बिलों का भुगतान नहीं हो पाएगा, हालांकि कंस्ट्रक्शन संबंधी विकास कार्य जारी रहेंगे।
ये हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
लिपिक वर्ग कर्मचारियों ने मंत्रालय के समान ग्रेड पे का लाभ देने, पुरानी पेंशन योजना की बहाली। प्रमोशन पर लगी रोक को हटाने के साथ-साथ रिटायर्ड कर्मचारियों को धारा 49 से छूट देने और महंगाई राहत का पिछला बकाया एरियर्स का भुगतान करने की मांग सरकार के सामने रखी है। इसके अलावा वाहन भत्ता, मकान किराया भत्ता केंद्र के 7वें वेतनमान के अनुसार दिए जाने की मांग भी प्रमुख है।