JABALPUR. एमपी में काफी चर्चाओं में रहे दमोह के गंगा जमना स्कूल के हिजाब कांड मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने गिरफ्तार किए गए 4 आरोपियों को हिदायत के साथ सशर्त जमानत दी है। अदालत ने कहा कि आरोपी दोबारा स्कूल में न तो धार्मिक शिक्षा देंगे और न ही गैर इस्लामी छात्र या छात्रा को इस्लामी परंपराओं को मानने के लिए बाध्य करेंगे। अदालत ने साफ कहा कि यदि इस प्रकार की घटना घटित हुई तो आरोपियों के जमानत रद्द कर उन्हें वापस जेल में डाल दिया जाएगा। इस प्रकार अदालत ने आरोपी प्राचार्य आसफा शेख, शिक्षक अनस, भृत्य रुस्तम अली और अथर को जमानत का लाभ दिया।
यह शर्तें तय की
हाई कोर्ट में जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की एलकपीठ ने जमानत की शर्तें तय की और कहा कि अब स्कूल में किसी भी छात्र या छात्रा को तिलक या कलावा देखकर रोका नहीं जाएगा। स्कूल में केवल मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड की ही पुस्तकें पढ़ाई जाएंगी। अदालत ने आरोपियों पर 50 हजार रुपए का मुचलका लगाया है। साथ ही यह अल्टिमेटम भी दिया गया कि वे अपना जुर्म नहीं दोहराएंगे।
अदालत में आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त और कासिम अली ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि ट्रायल में समय लगेग इसलिए तात्कालिक तौर पर स्कूल के कर्मचारियों को जमानत का लाभ दिया जाए। इससे पहले जिला अदालत ने आरोपियों की जमानत खारिज कर दी थी। जिसके बाद आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
यह था मामला
दरअसल दमोह के गंगा जमना स्कूल ने बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट के बाद स्कूल के बाहर फ्लैक्स लगवाया था, जिसमें कई हिंदू मेधावी छात्राएं भी हिजाब पहने हुए दिखाई दे रही थीं इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने जमकर हंगामा किया। बाद में स्कूल के संचालक मोहम्मद इदरीश पर टेरर फंडिंग के भी आरोप लगे थे। बच्चियों को हिजाब बांधने पर मजबूर करने के आरोप में प्राचार्य आसफा शेख समेत स्कूल के शिक्षक और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था।