राजस्थान में बीजेपी की यात्राओं में सिर्फ वसुंधरा राजे नहीं, बल्कि अन्य नेता भी होंगे शामिल, अब कैम्पेन कमेटी पर नजर

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BP Shrivastava
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राजस्थान में बीजेपी की यात्राओं में सिर्फ वसुंधरा राजे नहीं, बल्कि अन्य नेता भी होंगे शामिल, अब कैम्पेन कमेटी पर नजर

JAIPUR. राजस्थान में चुनाव से पहले निकाली जाने वाली बीजेपी की परिवर्तन यात्राओं का नेतृत्व कौन करेगा, इसका लेकर चला आ रहा सस्पेंस आखिर खत्म हो गया। पार्टी ने शुक्रवार, 25 अगस्त को मीडिया के सामने यात्राओं के कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कर दी और इस दौरान यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह यात्राएं किसी एक नेता के नेतृत्व में नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में होंगी और इनमें अन्य नेताओं के साथ वसुंधरा राजे सिंधिया भी एक नेता होंगी। राजस्थान बीजेपी की चुनावी राजनीति में पिछले बीस साल में यह बड़ा बदलाव है।



वसुंधरा राजे भी यात्राओं में जाएंगी



यात्राओं के कार्यक्रम की घोषणा की दौरान जब मीडिया ने यात्राओं में वसुंधरा राजे की भूमिका के बारे में पूछा तो पार्टी के वरिष्ठ नेता और चुनाव प्रबंधन समिति के सह संयोजक ओंकार सिंह लखावत ने प्रदेश के अन्य नेताओं के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे भी इन यात्राएं में जाएंगी। वे लोगों को संबोधित करेंगी, नेतृत्व करेंगी, मार्गदर्शन प्रदान करेंगी। जब उनसे यह पूछा गया कि पहले सिर्फ वसुंधरा राजे ही यात्रा निकालती थीं तो अब उन्हें आखिर दूर क्यों किया गया है तो लखावत ने कहा कि दूर नहीं किया गया है। वे भी सभी यात्राओं में शामिल होंगी। वहीं एक के स्थान पर चार यात्राएं निकाले जाने पर लखावत ने कहा कि पार्टी का विस्तार हुआ है और चूंकि पार्टी हर सीट तक जाना चाहती है, जो एक यात्रा में संभव नहीं हो पाता, इसलिए चार यात्राएं निकालना तय किया गया है।



2003 से सिर्फ वसुंधरा निकालती रही हैं यात्राएं



राजस्थान बीजेपी की चुनावी राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव है। पिछले बीस साल में यह पहली बार हुआ है कि सिर्फ वसुंधरा राजे नहीं बल्कि अन्य नेता एक सामूहिक नेतृत्व में यात्रा निकालेंगे। राजस्थान में चुनाव से पूर्व वसुंधरा राजे की यात्राओं की खासी धूम रहती आई है। यह सिलसिला 2003 में शुरू हुआ था, जब उन्हें पहली बार राजस्थान में सीएम पद के चेहरे के रूप में लाया गया था। उस समय पार्टी के बड़े नेता प्रमोद महाजन ने पूरी कमान संभाली थी और परिवर्तन यात्रा के जरिए वसुंधरा राजे को राजस्थान में प्रोजेक्ट किया गया था। 2003 के चुनाव में पार्टी ने 120 सीटें जीती थीं। यह पहला मौका था जब बीजेपी को राजस्थान में पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था।



वसुंधरा राजे ने इस तरह निकाली यांत्राएं



इसके बाद 2008 में सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने सुशासन यात्रा निकाली, लेकिन चुनाव हार गईं और पार्टी 78 सीटों पर सिमट गई। फिर 2013 में विपक्ष में रहने के दौरान एक बार फिर उन्होंने परिवर्तन यात्रा निकाली। इसका संयोजन मौजूदा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने किया था। इस चुनाव में पार्टी को 163 सीटों की बंपर जीत हासिल हुई। हालांकि, 2018 में फिर वसुंधरा ने सुशासन यात्रा निकाली, लेकिन पार्टी 73 सीटों पर सिमट कर चुनाव हार गई।



2018 में हार के बाद वसुंधरा को बनाया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 



दरअसल, 2018 के चुनाव में मिली हार के बाद से ही राजस्थान बीजेपी पर वसुंधरा राजे का एकछत्र राज खत्म होने लगा था। पार्टी ने चुनाव में हार के तुरंत बाद उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर बैठा दिया और वे अब तक इसी पद पर हैं। इस दौरान उनके विरोधी माने जाते रहे नेताओं को प्रदेश की कमान सौंपी जाती रही और अब इस चुनाव में अभी तक उनकी भूमिका को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।



यात्राओं में सामूहिक नेतृत्व के बाद अब कैम्पेन कमेटी पर नजर



पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि पार्टी अंततः वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही यात्राएं निकालेगी, लेकिन अब पार्टी की ओर से सामूहिक नेतृत्व की बात स्पष्ट हो चुकी है। ऐसे में अब चुनाव अभियान समिति यानी कैम्पेन कमेटी के गठन पर नजर है आखिर उसकी अध्यक्षता किसे मिलती है। हालांकि, पार्टी में इस बात की चर्चा भी शुरू हो चुकी है कि किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए हो सकता है कि पार्टी कैम्पेन कमेटी गठित ही ना करे और कोर कमेटी को ही टिकट वितरण सहित सारे प्रमुख सौंप दिए जाएं।

 


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