संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2022 के प्री के दो प्रश्नों को मप्र लोक सेवा आयोग ने फाइनल रिजल्ट तैयार करते समय डिलीट कर दिया था। इसे लेकर उम्मीदवारों की ओर से लगी याचिका पर अब मप्र लोक सेवा आयोग मुश्किल में आ गया है। हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने इस मामले में एक दिव्यांग की याचिका पर आयोग से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। दिव्यांग ने कहा है कि इन सवालों को डिलीट करने से उसके अंक कम हो गए और वह प्री के कटऑफ से चूक गया।
कटऑफ दिव्यांग का 142 रहा, डिलीट होने से 140 अंक ही आए
परीक्षार्थी मुकेश यादव ने भी विकलांग कोटे से प्री परीक्षा दी थी। अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता मेहुल वर्मा ने तर्क रखे कि लोक सेवा आयोग के द्वारा बिना वजह दो प्रश्न डिलीट कर दिए, जिसकी वजह से उनके पक्षकार का चयन होते-होते रह गया। विकलांग कोटे का कट ऑफ 142 अंक रहा था। याचिकाकर्ता मुकेश यादव को दो प्रश्न डिलीट हो जाने की वजह से 140 अंक आए। इस केस में न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने मध्यप्रदेश लोक सेवा से 1 सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 अगस्त संभावित है। यदि इन प्रश्नों को वैध घोषित किया जाता है तो प्री का रिजल्ट में भी उलटफेर हो सकता है। साथ ही कई उम्मीदवार मूल और प्रोवीजनल कैटेगरी रिजल्ट में भी बदल सकते हैं। ऐसे में यह सुनवाई काफी अहम होगी। हालांकि, आयोग के पास इसका जवाब है कि उनकी पहली आंसर की में दोनों ही सवालों के जवाब सही थे, लेकिन बाद में जब उम्मीदवारों से आपत्ति ली तो इन जवाबों पर आपत्ति आई और इसी के बाद इन्हें हटाया गया। ऐसे में अब हाईकोर्ट सभी तर्क सुनने के बाद इस पर अंतिम फैसला देगा।
भारत छोड़ो आंदोलन और निर्वाचन आयोग का था सवाल
आयोग ने सवाल पूछा था कि भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कब हुई थी, इसको पहले आंसर की में जवाब सही देकर 9 अगस्त दिया था, लेकिन बाद में जब आपत्तियां बुलाई तब इसके जवाब को सही नहीं मानते हुए और विवादित मानते हुए आयोग ने प्रश्न डिलीट कर दिया। इसी तरह एक प्रश्न था कि मप्र निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया, जिसका जवाब एक फरवरी 1994 था, इसे आंसर की में भी सही पाया, लेकिन बाद में आपत्तियां बुलाने के बाद इसका जवाब अमान्य करते हुए इस प्रश्न को भी डिलीट कर दिया गया।
क्यों है इन दो सवालों को लेकर विवाद
मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा पूर्व में जारी की गई आंसर की में भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ था। इस सवाल के जवाब में 9 अगस्त 1942 को सही माना गया, साथ ही एक अन्य सवाल कि मप्र राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया, का सही जवाब एक फरवरी 1994 को सही माना गया। लेकिन कुछ उम्मीदवारों ने इसे लेकर आपत्ति लगाई और बाद में दो दिन पहले जब फाइनल आंसर की जारी हुई तो आयोग ने विवादों को देखते हुए दोनों ही सवाल रद्द कर दिए। जबकि अधिकांश दस्तावेजों में दोनों के ही जवाब मौजूद हैं, भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख आठ या नौ अगस्त को लेकर विवाद भी है तो भी सवाल में आठ अगस्त का विकल्प था ही नहीं, इसलिए विवाद की बात नहीं थी, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग संबंधी सवाल तो पीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2020 की प्री में भी पूछ चुका है और इसका जवाब तब भी एक फरवरी 1994 माना गया और इसे तब डिलीट भी नहीं किया गया।
उम्मीदवार क्यों गए हैं हाईकोर्ट
इसके पहले भी प्री परीक्षा के सवालों को लेकर उम्मीदवार हाईकोर्ट जा चुके हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि एक-एक नंबर को लेकर पीएससी में फाइट है, यह सवाल सही करने वाले उम्मीदवारों की दावेदारी पर झटका लगेगा और वहीं गलत जवाब देने वालों को फायदा होगा। जिन उम्मीदवारों ने गलत जवाब दिया तो उन्हें तो एक तरह से यह प्रश्न डिलीट होने से लाभ ही हुआ, लेकिन जिन्होंने सही जवाब दिए वह इन अंक के कम होने के चलते मैंस के लिए क्वालीफाई होने से चूक गए। वहीं कई उम्मीदवार जो मूल रिजल्ट कैटेगरी में पास हो सकते थे, वह प्रोवीजनल रिजल्ट यानी 13 फीसदी पद वाले कोटे में चले गए।
13601 उम्मीदवार हुए थे पास
कुल 457 पदों के लिए मई माह में यह प्री परीक्षा हुई थी, जिसमें 12 जुलाई को रिजल्ट घोषित हुए और 13601 उम्मीदवार मैंस के लिए पास घोषित हुए। इसके लिए कटऑफ अनारक्षित वर्ग के लिए 160 गया था, जो हाल के सालों में सबसे ज्यादा था। परीक्षा में कुल 1.88 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे।