SAGAR. प्रदेश में एक बार फिर से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। इस बार सागर में एक युवक को कपड़े उतार कर पीटने का वीडियो वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि युवक को चोरी के शक में पीटा गया है।
सागर के मोतीनगर का मामला
वीडियो पुराना बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह केस सागर के मोतीनगर थानाक्षेत्र का है। इस केस की शिकायत पुलिस में नहीं की गई है और ना ही पीड़ित की पहचान हो सकी है पर वीडियो में युवक को पीटते देखा जा सकता है।
इससे कुछ दिन पहले ही सतना में एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में एक भाजपा नेता आदिवासी युवक पर नशे में पेशाब करता दिख रहा था। इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद शासन और प्रशासन जागे और कार्रवाई की। इसके बाद रीवा से एक और वीडियो सामने आया जिसमें एक दलित युवक की गांव में जमकर पिटाई की गई। इसके बाद उसके गले में जूतों की माला पहनाकर उसे गांव में घुमाया गया। वहीं तीसरा ऐसा ही केस ग्वालियर के डबरा से सामने आया था। यहां कुछ अपराधियों ने एक युवक को अगवा किया और उससे अपने पैर चटवाए, जिसका वीडियो भी बनाया। इस घटना में शनिवार दोपहर तक दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इन घटनाओं के साथ ही शनिवार को इंदौर में दो आदिवासी लड़कों के साथ मारपीट का एक वीडियो सामने आया। वीडियो में दो युवकों की पाइप से पिटाई होते दिख रही है। वीडियो के सामने आने के बाद आदिवासी संगठन जयस ने मार-पीट करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं पीसीसी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस घटना पर मप्र की बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है।
जयस ने बताया कहां का है वीडियो
जयस के प्रदेश मीडिया प्रभारी शुभम बुंदेला ने वीडियो के बारे में कहा कि घटना राऊ की है। शुक्रवार रात करीब 9.30 बजे पीड़ित और उसका भाई (दोनों नाबालिग) बाइक से जा रहे थे, तभी सड़क पर बाइक फिसल गई और दोनों गिर गए। पीछे से आ रहे युवक ने उन्हें बाइक हटाने के लिए कहा और गाली दी, वह नशे में था। दोनों भाइयों ने गाली देने का विरोध किया तो विवाद हो गया।
सतना की घटना पर जमकर हुई राजनीति
सतना के पेशाब कांड का वीडियो सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में जमकर राजनीति हुई। जहां बीजेपी ने अपने ऊपर लगे दागों को धोने की कोशिश की वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी की आदिवासी विरोधी मानसिकता करार दिया। सतना पेशाब कांड के पीड़ित को सीएम हाउस तक बुला लिया गया ताकि विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले आदिवासी वोटर को नाराज होने से रोका जा सके।