JABALPUR. मध्यप्रदेश के 31 विभागों में 5114 पदों पर नियुक्तियों का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इन पदों के कैंडिडेट्स को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ठीक 15 दिन पहले (30 जून 2023) ही नियुक्ति पत्र सौंपे थे। इन नियुक्तियों पर ओबीसी के उन कैंडिडेट ने ऐतरात जताया है, जिनके मार्क्स (नंबर) अनारक्षित वर्ग के कैंडिडेंट्स की कटऑफ लिस्ट से ज्यादा हैं। उनकी आपत्ति है कि वे क्वालीफाई करने के बाद भी नियुक्ति पत्र से वंचित क्यों हैं?
इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में शुक्रवार (14 जुलाई) को सुनवाई हुई और अब अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश शासन के 31 विभागों में विभिन्न पदों पर कुल रिक्त 5114 पदों ( जिसमें उपयंत्री, मानचित्रकार, समयपाल तथा समकक्ष पद) की भर्ती हेतु पीईबी यानी प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (पहले इसे व्यापम) द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था। जिसमें न्यूनतम योग्यता 12वीं तथा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा निर्धारित थी। उक्त भर्ती में कई लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। दिनांक 28 जून 2023 को महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर 23 विभागों ने ओबीसी के 13% पदों को होल्ड कर नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। उक्त नियुक्ति पत्रों को भोपाल में मुख्यमंत्री द्वारा 30 जून 2023 को बड़ा आयोजन कर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। होल्ड किए गए अभ्यर्थियों में से सागर निवासी आकांक्षा ठाकुर, रोहित लोधी, टीकमगढ़ निवासी नरेश कुमार कुर्मी, छतरपुर निवासी रोहित साहू द्वारा याचिका दाखिल की गई।
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जबलपुर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 18 जुलाई को
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि याचिका की प्रारंभिक सुनवाई शुक्रवार (14/7/2023) को जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एके सिंह की खंडपीठ द्वारा की गई। याचिकाकर्ता ओबीसी कैटेगरी के हैं। जिनके अंक अनारक्षित वर्ग की कटऑफ अंकों से अधिक हैं तथा ओबीसी वर्ग में चयनित अभ्यर्थियों से भी दस अंकों से भी अधिक है, फिर भी याचिकाकर्ताओं को उपयंत्री के पद पर नियुक्त एवं चयनित नहीं किया गया है तथा महाधिवक्ता के गलत अभिमत को आधार मानकर होल्ड कर दिया गया है, जो नियम विरूध है तथा विभाग प्रमुखों द्वारा अवैधानिक रूप से नियुक्तियां दी गई हैं। वे संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 के विपरीत हैं तथा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 6(2) के तहत नियुक्तिकर्ता अधिकारी आपराधिक दोषी है तथा जारी किए गए समस्त नियुक्ति पत्र आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 14 के तहत शून्य (शून्यकरणीय) होने लायक हैं।
हाईकोर्ट ने पांच विभागों से 5 दिन में जवाब मांगा
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि हमारे उक्त तर्कों को हाईकोर्ट में गंभीरता से लिया गया तथा कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग, प्रमुख सचिव RES, इंजीनियर इन चीफ जल संसाधन विभाग, pwd एवं पीईबी से पांच दिन में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही सभी नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन लाने का आदेश किए है।